पंजाब सरकार ने 1 अक्टूबर से 31 दिसंबर 2025 तक लागू होने वाली वन टाइम सेटलमेंट स्कीम 2025 की घोषणा की। 11,968 करोड़ रुपये के पुराने कर बकायों का निपटारा आसान और जल्दी होगा।
पंजाब में कर बकायों के समाधान के लिए बड़ी पहल की गई है। पंजाब के वित्त, योजना, आबकारी एवं कर मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने घोषणा की है कि “पंजाब वन टाइम सेटलमेंट स्कीम, 2025” 1 अक्टूबर 2025 से 31 दिसंबर 2025 तक लागू रहेगी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य जीएसटी से पहले के कर कानूनों के तहत लगभग 11,968.88 करोड़ रुपये के बकाये से जुड़े 20,039 लंबित मामलों का तेजी से निपटारा करना है।
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की कैबिनेट ने दी मंजूरी
इस योजना को मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अगुवाई वाली पंजाब कैबिनेट ने मंजूरी दी है। यह योजना करदाताओं को उनके पुराने कर बकाये को कम ब्याज और जुर्माने के साथ चुकाने का अंतिम मौका प्रदान करती है। वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि यह आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा पेश की गई तीसरी वन टाइम सेटलमेंट योजना है, और जो करदाता इस योजना का लाभ नहीं उठाएंगे, उनके खिलाफ 1 जनवरी 2026 से रिकवरी कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।
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योजना की मुख्य विशेषताएं
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1 करोड़ रुपये तक के बकाये पर: करदाताओं को ब्याज और जुर्माने में 100% छूट तथा टैक्स राशि पर 50% की छूट मिलेगी।
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1 करोड़ से 25 करोड़ रुपये तक के बकाये पर: ब्याज और जुर्माने पर 100% छूट और टैक्स राशि पर 25% छूट मिलेगी।
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25 करोड़ रुपये से अधिक के बकाये पर: ब्याज और जुर्माने पर 100% छूट और टैक्स राशि पर 10% की छूट उपलब्ध होगी।
इस योजना के तहत कुल 3,344.50 करोड़ रुपये की रिकवरी होने का अनुमान है, जबकि करदाताओं को पुराने बकाये में लगभग 8,441.56 करोड़ रुपये की राहत मिलेगी।
योजना किन करदाताओं पर लागू होगी?
यह वन टाइम सेटलमेंट योजना उन करदाताओं के लिए है जिनके असेसमेंट ऑर्डर 30 सितंबर 2025 तक जारी किए जा चुके हैं। हालांकि, यह योजना सरकारी खाद्य एजेंसियों पर लागू नहीं होगी। वित्त मंत्री ने सभी योग्य व्यापारियों से अपील की है कि वे 31 दिसंबर 2025 से पहले इस योजना का लाभ जरूर उठाएं।
व्यापार-अनुकूल माहौल बनाने की प्रतिबद्धता
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार राज्य में व्यवसाय के अनुकूल माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। पुराने कर मामलों के बकाया निपटाने से न केवल करदाताओं पर वित्तीय बोझ कम होगा, बल्कि राज्य का कर प्रशासन भी अधिक प्रभावी और सुचारू रूप से काम कर पाएगा।
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