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इजरायल-हमास शांति योजना पर सहमति, पीएम मोदी का रिएक्शन, बोले- स्वागत…

इजरायल-हमास के बीच अमेरिका की मध्यस्थता में शांति योजना के पहले चरण पर सहमति, पीएम मोदी ने समझौते का स्वागत किया और स्थायी शांति की उम्मीद जताई।

अमेरिका की मध्यस्थता में इजरायल-हमास के बीच शांति योजना के पहले चरण पर ऐतिहासिक सहमति बन गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते की घोषणा की, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खुले दिल से स्वीकार किया है। पीएम मोदी ने इस पहल का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई है कि बंधकों की रिहाई और गाजा में मानवीय सहायता की वृद्धि से स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त होगा।

इजरायल-हमास शांति समझौते का ऐतिहासिक महत्व

गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025 को मिस्र में हस्ताक्षरित इस समझौते का मकसद गाजा में जारी हिंसा को रोकना और बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करना है। यह समझौता दो दशकों से अधिक समय से चले आ रहे संघर्ष में शांति लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस पहल को स्थायी शांति की दिशा में पहला अहम कदम बताया है।

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पीएम मोदी का रिएक्शन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “हम राष्ट्रपति ट्रंप की शांति योजना के पहले चरण पर हुए समझौते का स्वागत करते हैं। यह प्रधानमंत्री नेतन्याहू के सशक्त नेतृत्व का भी प्रतीक है। हमें उम्मीद है कि बंधकों की रिहाई और गाजा के लोगों को मानवीय सहायता में वृद्धि से उन्हें राहत मिलेगी और स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त होगा।”

ट्रंप का बयान और वैश्विक प्रतिक्रिया

ट्रम्प ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर लिखा, “मुझे गर्व है कि इजरायल और हमास दोनों ने हमारी शांति योजना के पहले चरण पर सहमति जताई है। इसका मतलब है कि सभी बंधक जल्द रिहा होंगे और इजरायली सेना निर्धारित सीमा तक पीछे हट जाएगी। यह स्थायी शांति की दिशा में पहला कदम है।”

उन्होंने कहा कि यह दिन अरब और मुस्लिम दुनिया, इजरायल, अमेरिका और सभी शांतिप्रिय देशों के लिए ऐतिहासिक है। ट्रंप ने विशेष रूप से कतर, मिस्र और तुर्किये का धन्यवाद किया, जिन्होंने इस वार्ता को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आगे की चुनौतियां और उम्मीदें

हालांकि यह पहला चरण है, इस समझौते को पूरी तरह लागू करने में कई चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं, जैसे कि हमास का हथियार बंद करना और गाजा के प्रशासन को लेकर सहमति। फिर भी, इस पहल ने क्षेत्रीय संघर्ष को कम करने और भविष्य में स्थायी शांति स्थापित करने की उम्मीदें बढ़ा दी हैं।

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