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वैकुंठ चतुर्दशी 2025: पूजा विधि, विशेष मंत्र और भगवान विष्णु-शिव पर चढ़ाने वाले पुष्प

वैकुंठ चतुर्दशी 2025: पूजा विधि, विशेष मंत्र और भगवान विष्णु-शिव पर चढ़ाने वाले पुष्प जानें और इस पवित्र दिन का लाभ उठाएं।

वैकुंठ चतुर्दशी 2025 कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। यह पर्व भगवान विष्णु और भगवान शिव की संयुक्त उपासना का प्रतीक माना जाता है। इसे एकता और सौहार्द का दिन भी कहा जाता है। इस दिन भक्त प्रातःकाल स्नान कर उपवास का संकल्प लेते हैं और घर या मंदिर में दीपक प्रज्वलित करके दोनों देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं।

वैकुंठ चतुर्दशी के दिन शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव और विष्णु की पूजा में विशेष रूप से श्रद्धा रखी जाती है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु शिव जी को बेलपत्र अर्पित करते हैं और भगवान शिव विष्णु जी को तुलसी दल अर्पित करते हैं। यही कारण है कि इसे एकता और भक्ति का पर्व माना जाता है।

इस वर्ष वैकुंठ चतुर्दशी 2025 का समय दोपहर 2 बजे से शुरू होकर रात 10 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इस अवधि में पूजा-अर्चना करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।

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वैकुंठ चतुर्दशी 2025 की पूजा विधि:

प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

उपवास का संकल्प लें और घर या मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें।

शिव लिंग का जल, दूध और बेलपत्र से अभिषेक करें तथा “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।

दिनभर भक्ति और मौन का पालन करें।

रात्रि के निषीथ मुहूर्त में विष्णु जी का पंचामृत से अभिषेक करें।

कमल पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें तथा “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।

कौन से पुष्प चढ़ाएं:

भगवान विष्णु को कमल पुष्प, तुलसी दल, पीले या सफेद फूल अर्पित करें।

भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, कणेर और सफेद पुष्प अर्पित करने से मोक्ष और मनोकामना की प्राप्ति होती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन की गई पूजा और विशेष उपाय भक्त के जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति सुनिश्चित करते हैं। वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व शिव-विष्णु की भक्ति और उनके एकत्व का प्रतीक है, जिसे श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाना चाहिए।

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