सत्यनारायण व्रत नियम: कब और कैसे करें और जानें इसके अद्भुत लाभ
जानें सत्यनारायण व्रत कब और कैसे करना चाहिए, व्रत की पूरी विधि, नियम, और इससे मिलने वाले अद्भुत लाभ। पूर्णिमा तिथि पर विशेष फलदायक व्रत।
सत्यनारायण व्रत हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की पूजा के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इस व्रत का पालन करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। अगर आप भी इस व्रत करने की योजना बना रहे हैं, तो जानिए इसके समय, विधि और नियम।
सत्यनारायण व्रत कब करें?
सत्यनारायण व्रत किसी भी शुभ अवसर पर किया जा सकता है, लेकिन पूर्णिमा तिथि को इस व्रत का पालन विशेष फलदायी माना गया है। अगर सुबह पूजा संभव न हो, तो शाम के समय भी इसे संपन्न किया जा सकता है। व्रत करने वाले व्यक्ति को दिनभर उपवास करना चाहिए और केवल शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद भोजन करना चाहिए।
सत्यनारायण व्रत करने की विधि
सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें।
स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
पूजा स्थल की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें।
चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान सत्यनारायण की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
एक कलश और नारियल रखें।
पंडित को बुलाकर या स्वयं सत्यनारायण कथा का पाठ करें।
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कथा में परिवार और आस-पास के लोगों को शामिल करें।
भगवान को चरणामृत, पान, तिल, रोली, कुमकुम, फल, फूल, सुपारी आदि अर्पित करें।
कथा समाप्त होने के बाद आरती करें और सभी में प्रसाद वितरित करें।
रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण करके व्रत का पारण करें।
सत्यनारायण व्रत के अद्भुत लाभ
सत्यनारायण व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। यह व्रत सभी प्रकार के दुखों को दूर करने वाला माना गया है। साथ ही धन-धान्य में वृद्धि होती है और संतानहीन व्यक्तियों को संतान सुख की प्राप्ति भी संभव हो पाती है।
सत्यनारायण व्रत का नियमित पालन करने से जीवन में आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ भौतिक समृद्धि भी प्राप्त होती है। यह व्रत न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि समाज और परिवार में आपसी प्रेम और सौहार्द बढ़ाने का भी माध्यम बनता है।
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