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प्रदोष व्रत नवंबर 2025: सोम प्रदोष 17 नवंबर को, जानें शुभ मुहूर्त और खास उपाय

जानें प्रदोष व्रत नवंबर 2025 कब है – सोम प्रदोष 17 नवंबर को। पढ़ें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और विशेष उपाय जिससे बढ़े सुख, समृद्धि और दाम्पत्य जीवन में खुशहाली।

प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है, जो त्रयोदशी तिथि की संध्या को मनाया जाता है। नवंबर 2025 में सोम प्रदोष व्रत 17 नवंबर को होगा। यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दिन किए गए व्रत और पूजा से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, वैभव और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

सोम प्रदोष व्रत का मुहूर्त 2025

सोम प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ समय 17 नवंबर 2025 को शाम 05:27 बजे से रात 08:07 बजे तक रहेगा। इस समय में शिवलिंग की पूजा और व्रत करना सबसे अधिक फलदायक माना जाता है।

सोम प्रदोष व्रत के विशेष उपाय

धन और समृद्धि के लिए: एक एकाक्षी नारियल लें और स्नान आदि के बाद इसे अपने मंदिर में रखें। भगवान शिव की पूजा करें, पुष्प अर्पित करें, भोग लगाएं और धूप-दीप दिखाएं। इसके बाद नारियल की भी पूजा करें और मंदिर में ही रख दें।

मानसिक तनाव से मुक्ति: दो मुखी रुद्राक्ष की पूजा कर उसे गले में धारण करें और शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करें।

बिजनेस की समृद्धि के लिए: 11 कौड़ियों को मंदिर में रखकर उनकी पूजा करें। पूजा के बाद इन्हें लाल कपड़े में बांधकर अपने ऑफिस के कैश बॉक्स में रखें।

सुख और समृद्धि के लिए मंत्र जप: घर में एकांत जगह पर आसन बिछाकर 11 बार मंत्र “ऊँ शिवाय नमः ऊँ” का जप करें और भगवान शिव के दर्शन करें।

समाज में प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए: शिवलिंग पर धतूरा और बेलपत्र अर्पित करें और ‘ऊँ नमः शिवाय’ बोलते हुए पूजा करें।

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शत्रुओं को परास्त करने के लिए: दुर्गा बीसा यंत्र की स्थापना करें। तांबे या भोजपत्र पर यंत्र बनाकर पूजा करें और मंत्र “ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै” का 11 हजार से 51 हजार बार जप करें।

प्यार और दाम्पत्य जीवन को मजबूत करने के लिए: गोमती चक्र की पूजा कर उसे लाल पोटली में बांधकर अपने पास रखें।

किसी खास कार्य में सफलता के लिए: शिव मंदिर में शाम को पांच रंगों से छोटी रंगोली बनाएं और बीच में दीपक जलाकर भगवान से प्रार्थना करें।

बुरी नजर से बचाव: जौ के आटे की रोटियां बनाकर गाय के बछड़े को खिला दें और हाथ जोड़कर प्रणाम करें।

दाम्पत्य संबंध सुधार के लिए: सौभाग्य बीसा यंत्र बनाएं और सिद्ध करके इसे गले में धारण करें या पास रखें।

मन की शांति के लिए: रुद्राक्ष की माला से 108 बार “ऊँ नमः शिवाय” का जप करें। यदि माला उपलब्ध नहीं है, तो करमाला से गिनकर जप कर सकते हैं।

सोम प्रदोष व्रत 17 नवंबर 2025 को होने के कारण इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना का महत्व बढ़ जाता है। यह व्रत व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक और भौतिक समृद्धि दोनों लाने वाला माना जाता है।

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