मोक्षदा एकादशी 2025: पितरों के लिए करें ये उपाय, मिले बैकुंठ धाम की प्राप्ति
मोक्षदा एकादशी 2025: 30 नवंबर को पितरों के लिए खास उपाय जानें। तुलसी, दीपक, पीपल और दान के माध्यम से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष दिलाएं।
मोक्षदा एकादशी 2025 (Mokshada Ekadashi) मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत और पूजा करने से न केवल भक्तों को जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, बल्कि पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष भी मिलता है। शास्त्रों में इस दिन किए जाने वाले कुछ विशेष उपाय बताए गए हैं, जिनसे पितरों की कृपा प्राप्त होती है और बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।
मोक्षदा एकादशी कब है?
मोक्षदा एकादशी 2025 रविवार, 30 नवंबर की रात 9:29 बजे शुरू होगी और 1 दिसंबर 2025 सोमवार, शाम 7:01 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार व्रत पारण 1 दिसंबर को किया जाएगा।
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पितरों के लिए करें ये खास उपाय
तुलसी दल अर्पित करें: मोक्षदा एकादशी के दिन तुलसी के पत्तों को जल में प्रवाहित करना चाहिए या पीपल के पेड़ की जड़ में अर्पित करना चाहिए। तुलसी को मोक्ष दायिनी माना जाता है, जिससे पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है।
दीपदान करें: शाम के समय अपने घर के दक्षिण दिशा में या किसी पीपल के पेड़ के नीचे शुद्ध घी का दीपक जलाएं। दीपदान से पितरों की कृपा मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पीपल को जल दें: पीपल के वृक्ष को जल देने से पितृ दोष शांत होता है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
दान और सात्विक भोजन: व्रत पारण से पहले किसी गरीब या ब्राह्मण को सात्विक भोजन कराएं और दान दें। यह उपाय पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है।
श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ: इस दिन भगवद्गीता का पाठ करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। इससे पितरों को शांति मिलती है और भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मोक्षदा एकादशी का महत्व
मोक्षदा एकादशी का नाम ही मोक्ष का प्रतीक है। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही यह दिन पितृशांति और परिवार में समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
माना जाता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन किए गए उपाय और पूजा से घर में सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और पितरों की कृपा का प्रवाह होता है।
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