राज्यगुजरात

इसुदान गढ़वी: पहले परिपत्र जारी करें, फिर सभी भाजपा नेताओं के घरों और कमलम में स्मार्ट मीटर लगाएं

स्मार्ट मीटर तो लगाकर ही रहेंगे” ऊर्जा मंत्री के इस बयान पर AAP नेता इसुदान गढ़वी का करारा जवाब

“स्मार्ट मीटर तो लगाकर ही रहेंगे” ऊर्जा मंत्री के इस बयान पर आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष इसुदान गढ़वी ने पलटवार करते हुए कहा कि ऊर्जा मंत्री ने कहा है कि “आप चाहे जो कर लें, स्मार्ट मीटर तो लगाकर ही रहेंगे।” हमें पता है कि आप कंपनियों के दलाल हैं और जनता के बारे में कभी नहीं सोचते। आप कहते हैं कि “भ्रम फैलाया जा रहा है”, लेकिन ऐसे सैकड़ों लोग हैं जिनके बिजली बिल बढ़ गए हैं। अभी हम दो महीने के उपयोग के बाद बिजली बिल भरते हैं। छह महीने बाद आप स्मार्ट मीटर लगाकर कहेंगे कि “अब एडवांस वाला प्रीपेड लेना पड़ेगा, तभी स्मार्ट मीटर चलेगा, नहीं तो बिजली काट दी जाएगी।” ऐसे कई परिवार हैं जिनके पास बिजली बिल भरने तक के पैसे नहीं हैं। क्या आप इसी के लिए सत्ता में आए हैं? जिनके घर पहले से मीटर लगे हैं, उन्होंने पहले ही उसके पैसे चुका दिए हैं और अब आप स्मार्ट मीटर लाकर उसके भी पैसे लेंगे? आप कंपनियों के लिए कितनी हद तक गिरेंगे? कंपनियों ने आपके साथ क्या डील की है यह भगवान जाने, लेकिन जनता स्मार्ट मीटर नहीं चाहती।

प्रदेश अध्यक्ष इसुदान गढ़वी ने आगे कहा कि मैं जनता से कहना चाहता हूं कि ऐसा कोई परिपत्र नहीं है कि “स्मार्ट मीटर लगाना अनिवार्य है।” अगर आपके यहां जबरन लगाया जा रहा है तो आप विरोध कर सकते हैं कि “हम स्मार्ट मीटर नहीं लगाने देंगे।” जहां भी कहेंगे, आम आदमी पार्टी स्मार्ट मीटर के खिलाफ इस लड़ाई में आपके साथ खड़ी रहेगी। कई जगह स्मार्ट मीटर लगाने के बाद ग्राहकों से कहा जाता है कि “आपके यहां स्मार्ट मीटर लग चुका है।” जब ग्राहक कहते हैं कि “हमें स्मार्ट मीटर नहीं चाहिए,” तब कहा जाता है कि “पुराने मीटर हमारे पास नहीं हैं।” यह भाजपा और गुजरात सरकार की साजिश है। यह केवल गुजरात में ही नहीं, पूरे भारत में एक कंपनी की दलाली की जा रही है। स्मार्ट मीटर लगाकर एडवांस लिया जाएगा, यानी हजारों करोड़ रुपये जनता के डिपॉजिट के रूप में ले लिए जाएंगे, फिर प्रीपेड किया जाएगा, और उसके बाद बिजली बिल कैसे आएंगे यह हम सब जानते हैं।

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इसुदान गढ़वी ने आगे कहा कि पहले परिपत्र जारी करें। फिर सभी भाजपा नेताओं के घरों में, कमलम में स्मार्ट मीटर लगाएं और उसके बाद जनता के पास जाएं—ऐसा नहीं होगा। मैंने सुना है कि फिलहाल शहरों में यह अभियान धीमा कर दिया गया है। क्या महानगरपालिका, नगरपालिका और जिला–तालुका चुनाव खत्म होने के बाद यह अभियान शुरू करेंगे? मैं गुजरात की जनता से निवेदन करता हूं कि ये लोग कंपनियों की दलाली कर रहे हैं। अगर आप स्मार्ट मीटर नहीं लगवाना चाहते हैं तो इस बार भाजपा को हराइए। अगर भाजपा तालुका, जिला, नगरपालिका या महानगरपालिका चुनाव जीत गई, तो दूसरे ही दिन आपके घर स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे, फिर लूट शुरू होगी, फिर प्रीपेड लागू होगा और फिर भारी बिल आएंगे। तब आप शिकायत करने कहां जाएंगे? यह ऊपर से आया हुआ फैसला है, इसलिए भाजपा नेताओं की इतनी हैसियत नहीं है कि वे कह सकें कि “हम स्मार्ट मीटर नहीं लगाएंगे,” क्योंकि ऊपर से कंपनियों और नेताओं की डील हुई है। ये लोग फिर से आप पर स्मार्ट मीटर थोपेंगे। इसलिए केवल एक ही उपाय है—स्थानीय स्वराज की चुनावों में भाजपा को एक भी वोट न दिया जाए, तभी स्मार्ट मीटर नहीं लगेंगे। अगर भाजपा किसी भी जाति, समुदाय या धर्म के नाम पर बहला-फुसलाकर वोट ले गई, तो दूसरे ही दिन स्मार्ट मीटर थोप दिए जाएंगे। फिर छह महीने बाद नया कानून आएगा और स्मार्ट मीटर के भी पैसे देने पड़ेंगे। आपकी लूट होगी। मैं सभी से अपील करता हूं कि जागिए और जहां भी स्मार्ट मीटर नहीं चाहिए, वहां आम आदमी पार्टी से संपर्क कीजिए। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता आपके साथ खड़े हैं।

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