पंजाब ने एंटीबायोटिक दुरुपयोग रोकने हेतु ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण के साथ AMR कार्य योजना शुरू की, साफ-सफाई और समन्वित निगरानी पर जोर।
एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध उपयोग और उससे उत्पन्न हो रहे एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR) जैसी गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती से निपटने के लिए पंजाब सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने आज राज्य स्तरीय AMR कार्य योजना (Punjab-Sepkar) का औपचारिक शुभारंभ किया। इसके साथ ही पंजाब भारत का सातवां राज्य बन गया है, जिसने एंटीबायोटिक दुरुपयोग रोकने के लिए एक व्यापक और समर्पित रणनीति अपनाई है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण को अपनाकर मानव स्वास्थ्य, पशु चिकित्सा, कृषि और पर्यावरण के क्षेत्रों में समन्वित प्रयासों के माध्यम से एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस की चुनौती से मुकाबला करना है।
AMR कार्य योजना की प्रमुख विशेषताएं:
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निगरानी और परीक्षण नेटवर्क: सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में एक सशक्त लैब नेटवर्क के माध्यम से सैंपल टेस्टिंग और प्रतिरोध पैटर्न की निगरानी की जाएगी, जिससे समय पर बीमारी की पहचान और उचित इलाज संभव होगा।
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सफाई और संक्रमण नियंत्रण: अस्पतालों, क्लीनिकों और फूड वेंडर्स में उच्च स्तर की साफ-सफाई को अनिवार्य बनाकर संक्रमण के प्रसार को रोका जाएगा।
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इंटर-डिपार्टमेंट समन्वय: स्वास्थ्य, पशुपालन, कृषि और खाद्य सुरक्षा विभागों के बीच सहयोग और समन्वय को मजबूत किया जाएगा, ताकि सभी संबंधित क्षेत्रों में एकीकृत कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।
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एंटीबायोटिक्स का तर्कसंगत उपयोग: डॉक्टर द्वारा निर्धारित और क्लीनिकल गाइडलाइंस के अनुसार ही एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा। सेल्फ-मेडिकेशन और अधूरा इलाज रोकने हेतु जनता को जागरूक किया जाएगा।
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जागरूकता अभियान: आम आदमी क्लीनिक, जिला अस्पतालों और प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स पर व्यापक जन-जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे, ताकि लोगों को एंटीबायोटिक दुरुपयोग के खतरे और इलाज पूरा करने के महत्व के बारे में जानकारी दी जा सके।
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पशुओं और कृषि में एंटीबायोटिक नियंत्रण: नॉन-थेरेप्यूटिक उपयोग जैसे ग्रोथ प्रमोटर के रूप में इस्तेमाल की जा रही एंटीबायोटिक दवाओं को हतोत्साहित किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री का बयान
डॉ. बलबीर सिंह ने कहा: “पंजाब सरकार का यह प्रयास राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को सुरक्षित और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण के माध्यम से हम मानव और पशु स्वास्थ्य दोनों को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह योजना आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवन रक्षक दवाओं की प्रभावशीलता को बनाए रखने में मदद करेगी।”
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस से निपटने के लिए जमीनी स्तर पर जागरूकता अभियान चलाएगी, ताकि लोग बिना डॉक्टर की सलाह के दवाओं का सेवन न करें और इलाज पूरा करें।
विशेषज्ञों की मौजूदगी
इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग और विभिन्न मेडिकल संस्थानों के वरिष्ठ विशेषज्ञ एवं अधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें शामिल हैं: डॉ. जसबीर सिंह बेदी (डायरेक्टर, सेंटर फॉर वन हेल्थ, GADVASU), डॉ. अनीता शर्मा (डायरेक्टर, लैब मेडिसिन, फोर्टिस, मोहाली), डॉ. वर्षा गुप्ता (प्रोफेसर, माइक्रोबायोलॉजी, GMCH-32, चंडीगढ़), डॉ. लवीना ओबेरॉय (GMCH, अमृतसर), डॉ. नुसरत शरीफ (PGIMER, चंडीगढ़), डॉ. प्रविंदर चावला (फोर्टिस, मोहाली), डॉ. रितु गर्ग (एम्स, मोहाली), डॉ. अमित मंडल, इस मौके पर मिशन डायरेक्टर घनश्याम थोड़ी, डायरेक्टर हेल्थ डॉ. हितिंदर कौर, और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
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