आज भाजपा नेताओं और उद्योगपतियों का विकास हो रहा है, लेकिन किसानों का क्या?: ईसुदान गढ़वी
आम आदमी पार्टी के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष ईसुदान गढ़वी ने आज खेत जोतकर राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया। इस दौरान उन्होंने कहा कि गुजरात के 54 लाख किसान परिवारों को राष्ट्रीय किसान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आज़ादी के 78 वर्ष हो चुके हैं। गुजरात में कांग्रेस ने 30 वर्ष और भाजपा ने भी 30 वर्ष शासन किया, लेकिन आज हालात ऐसे हैं कि भाजपा नेताओं और उद्योगपतियों का तो विकास हुआ है, पर किसानों का क्या? आज सबसे बड़ा सवाल यह है कि किसान खेती क्यों छोड़ रहे हैं? आज डॉक्टर अपने बेटे को डॉक्टर बनाना चाहता है, वकील अपने बेटे को वकील बनाना चाहता है और मंत्री अपने बेटे को विधायक या मंत्री बनाना चाहता है, लेकिन एक किसान अपने बेटे को किसान नहीं बनाना चाहता। किसान दिन-रात मेहनत करता है, लेकिन उसकी आमदनी नहीं बढ़ती। आज दलाल और बिचौलिये रोज तीन–चार हजार रुपये कमा लेते हैं, जबकि दस बीघा जमीन का मालिक किसान भी कर्ज में डूबता जा रहा है। सच्चाई यह है कि सरकार ऐसी नीतियां बना रही है कि किसान खेती छोड़कर भागने को मजबूर हो रहे हैं। अगर यही हाल रहा तो दस–पंद्रह साल बाद उद्योगपति खेती में उतर जाएंगे और एक मन गेहूं के 5,000 रुपये तथा तेल के डिब्बे के 10,000 रुपये वसूल करेंगे। साफ दिखाई दे रहा है कि यह एक बड़ा षड्यंत्र है, और इसके सबूत मैं आपको दे सकता हूं।
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आगे ईसुदान गढ़वी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते थे कि फसल बीमा सबसे बेहतर होना चाहिए, लेकिन गुजरात में तो फसल बीमा है ही नहीं। यहां प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बंद है। उन्होंने कहा था कि किसानों का कर्ज माफ होना चाहिए, लेकिन 50 उद्योगपतियों के 16 लाख करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर दिए गए, जबकि एक भी किसान का नया कर्ज माफ नहीं किया गया। गुजरात में पिछले चार महीनों में लगभग हर समाज के आठ किसानों ने आत्महत्या की है, फिर भी भाजपा नेताओं के पेट में पानी तक नहीं हिलता। अमेरिका में किसानों को 54 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाती है, जबकि हमारे किसानों को औसतन 21,000 रुपये भी नहीं मिलते और न ही उन्हें उचित मूल्य मिलता है। एपीएमसी में कटौती होती है, किसान जब बीज खरीदने जाता है तो बीज महंगे मिलते हैं, दवाइयां महंगी होती हैं, खाद समय पर नहीं मिलती और मजबूरी में कालाबाजारी से खाद खरीदनी पड़ती है, जिससे लागत और बढ़ जाती है। अगर खेती अडाणी को सौंप दी गई तो मुझे पूरा विश्वास है कि अडाणी एक मन गेहूं के 5,000 रुपये और तेल के डिब्बे के 10,000 रुपये वसूलेगा। किसान के खेत में प्याज दो रुपये किलो होती है, लेकिन नेता और उनके बेटे जमाखोरी करते हैं और वही प्याज 500 रुपये मन बिकती है। जब किसान के खेत में प्याज आती है, तब निर्यात बंद कर दिया जाता है। इसलिए मैं साफ कहता हूं कि सरकार की नीतियां किसान विरोधी हैं।
आगे ईसुदान गढ़वी ने कहा कि किसान भोले होते हैं। किसान कहते हैं कि यह भाजपा का गांव है, लेकिन भाजपा ही भाजपा के गांव और किसानों को जमीन पर ला पटकती है। इसके कारण गांव-गांव में कुंवारों की संख्या बढ़ गई है और भाजपा नेता मजे लेते हुए कहते हैं कि “देखो, हमारी नीतियों के कारण इन्हें कोई बेटी देने को तैयार नहीं है।” मैं सभी से कहना चाहता हूं कि अब जागरूक होने का समय आ गया है और भाजपा से किसी भी तरह की उम्मीद रखने की जरूरत नहीं है। हमने भाजपा को 30 साल दिए, लेकिन वे कुछ नहीं कर पाए। गुजरात में 54 लाख किसान हैं, जिनके करीब ढाई करोड़ परिवारजन हैं और किसान लगभग 1 करोड़ 20 लाख लोगों को रोजगार देते हैं। इसलिए उद्योग के साथ-साथ हमारे कृषि प्रधान देश में खेती को भी उतना ही महत्व देना जरूरी है। आज तक खेती को महत्व नहीं दिया गया, इसी कारण खेती बर्बाद हुई है। अब सभी किसानों को एकजुट होकर ऐसी किसान हितैषी नीतियां बनवानी होंगी, ताकि किसान को बुवाई से पहले ही पता हो कि उसका गेहूं, मूंगफली, चना आदि सरकार खरीदेगी और वह भी एमएसपी पर खरीदेगी। ऐसी व्यवस्था हमें खड़ी करनी होगी।
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