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अगस्त 2025 एकादशी तिथि: अगस्त महीने में कब-कब पड़ेगी एकादशी? जानें सही तारीख और शुभ मुहूर्त

अगस्त 2025 एकादशी तिथि: अगस्त 2025 में पुत्रदा एकादशी और अजा एकादशी कब पड़ रही है? जानें दोनों व्रत की तारीख, शुभ मुहूर्त, त्रिपुष्कर योग और भगवान विष्णु की पूजा का सही तरीका।

अगस्त 2025 एकादशी तिथि: सनातन धर्म में एकादशी तिथि को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन व्रत रखने से सभी दुख और कष्ट दूर होने की मान्यता है। अगस्त 2025 में दो महत्वपूर्ण एकादशी तिथियां पड़ रही हैं  पुत्रदा एकादशी और अजा एकादशी। जानिए इन एकादशियों की सही तारीखें, शुभ मुहूर्त और पूजा-अर्चना के विशेष नियम।

अगस्त 2025 एकादशी तिथियां:

1. पुत्रदा एकादशी: पुत्रदा एकादशी सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाई जाती है। इस वर्ष यह एकादशी 5 अगस्त को मनाई जाएगी। एकादशी तिथि 4 अगस्त सुबह 11:41 बजे से शुरू होकर 5 अगस्त दोपहर 1:12 बजे तक रहेगी, लेकिन पूजा उदया तिथि के अनुसार 5 अगस्त को ही की जाएगी। इस व्रत का पारण 6 अगस्त को दोपहर 1:58 बजे होगा।

पुत्रदा एकादशी के शुभ मुहूर्त:

  • ब्रह्म मुहूर्त: 4:48 AM – 5:32 AM

  • अभिजित मुहूर्त: 12:19 PM – 1:10 PM

  • विजय मुहूर्त: 2:54 PM – 3:45 PM

  • गोधूली मुहूर्त: 7:12 PM – 7:34 PM

पुत्रदा एकादशी के दिन रवि और भद्रावास योग का संयोग है, जो लक्ष्मी नारायण की पूजा से सुख-समृद्धि और आरोग्य का वरदान देता है।

 2. अजा एकादशी भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि पर अजा एकादशी मनाई जाती है। इस वर्ष अजा एकादशी 19 अगस्त को होगी। एकादशी तिथि 18 अगस्त शाम 5:22 बजे से शुरू होकर 19 अगस्त शाम 3:32 बजे तक रहेगी। पूजा उदया तिथि के अनुसार 19 अगस्त को की जाएगी।

अजा एकादशी के शुभ मुहूर्त:

  • ब्रह्म मुहूर्त: 4:50 AM – 5:35 AM

  • अभिजित मुहूर्त: 12:16 PM – 1:07 PM

  • विजय मुहूर्त: 2:49 PM – 3:40 PM

  • गोधूली मुहूर्त: 7:03 PM – 7:26 PM

इस दिन सबसे शुभ योग ‘त्रिपुष्कर योग’ भी बन रहा है, जो 19 अगस्त की देर रात 1:07 बजे से 20 अगस्त प्रातः 6:21 बजे तक रहेगा। त्रिपुष्कर योग मंगल, शनि और रवि के संयोजन से बनता है और माना जाता है कि इस योग में व्रत रखने से धन-लाभ के तीन गुना फल प्राप्त होते हैं।

एकादशी व्रत का महत्व:

एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से मनोकामना पूरी होती है और जीवन के संकट समाप्त हो जाते हैं। भक्तजन इस दिन निर्जला व्रत रखते हैं और रात्रि जागरण भी करते हैं। यह व्रत मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और स्वस्थ जीवन का मार्ग प्रशस्त करता है।

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