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Ayodhya Ram Mandir: विवाद से लेकर निर्माण और उद्घाटन तक, श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या का इतिहास जानिए

Ayodhya Ram Mandir

Ayodhya Ram Mandir: श्रीराम जन्मभूमि देश में सबसे लंबे मुकदमे में से एक है। लेकिन 5 अगस्त 2020 को उल्लेखनीय रूप से दर्ज किया गया। 1528 से 2020 तक अयोध्या के इतिहास में कई बदलाव हुए।

अयोध्या, मूल रूप से मंदिरों का शहर रही है। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम के पूर्वज विवस्वान (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु ने अयोध्या को बनाया था। इसलिए महाभारत काल तक अयोध्या पर सूर्यवंशी राजाओं का शासन रहा।Ayodhya Ram Mandir: श्रीराम का जन्म अयोध्या के दशरथ महल में हुआ था। वाल्मीकि रामायण ने भी धन्य-धान्य और रत्न-आभूषणों से भरी इस नगरी की अत्यधिक छटा और खूबसूरत इमारतों का वर्णन किया है। रामायण में महर्षि वाल्मीकि ने अयोध्या की सुंदरता को दूसरा इंद्रलोक कहा।

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Ayodhya Ram Mandir: लेकिन भगवान श्रीराम के जल समाधि लेने के बाद कुछ समय के लिए अयोध्या अस्तित्वहीन हो गई। कहा जाता है कि राम के पुत्र कुश ने अयोध्या को फिर से बनाया. इसके बाद, सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों तक यह अस्तित्व में रहा। महाभारत काल में हुए युद्ध के बाद भी अयोध्या फिर से ध्वस्त हो गई।

Ayodhya Ram Mandir: कहानी-महाभारत युद्ध और भगवान श्री राम के जल समाधि लेने के बाद अयोध्या के उजाड़ होने और फिर से बसने की कहानियां हैं। लेकिन श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या और यहाँ बने श्रीराम मंदिर को एक नहीं बल्कि कई बार निशाना बनाया गया। मुगलों ने भी अयोध्या को नष्ट करने के लिए कई अभियान चलाए, मंदिर में बाबरी ढांचा खड़ा कर मस्जिद बनाया। लेकिन भगवान श्रीराम की जन्मस्थली कभी नष्ट नहीं हो सकती थी। Ayodhya Ram Mandir का इतिहास वैसे भी त्रेतायुग से भी पुराना है। लेकिन हम आपको बताएंगे श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या के लगभग पांच सौ वर्षों (विवाद से लेकर पुनर्निर्माण, निर्माण और उद्घाटन) के बारे में।

श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या का इतिहास (Ram Mandir History)

Ayodhya Ram Mandir में चल रहे देश के सबसे लंबे केसों में से एक है। राम जन्मभूमि का बहुत पुराना इतिहास है। श्रीराम जन्मभूमि के इतिहास में 1528 से 2023 तक कई बदलाव हुए। 9 नवंबर 2019, पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने ऐतिहासिक निर्णय लिया।

1528

विवादित स्थान पर मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने मस्जिद बनाई। हिंदू धर्म के लोगों ने इस स्थान को भगवान राम की जन्मभूमि और एक प्राचीन मंदिर बताया। हिंदू पक्ष के लोगों ने कहा कि मस्जिद में तीन गुंबदों में से एक में भगवान राम का जन्मस्थान था।

1853-1949

1853 में, श्रीराम की जन्मभूमि पर मस्जिद के आसपास पहली बार दंगे हुए। 1859 में, अंग्रेजी सरकार ने विवादित स्थान के पास बाड़ लगा दी और मुसलमानों को ढांचे के अंदर पूजा करने की अनुमति दी, जबकि हिंदुओं को बाहर चबूतरे के पास पूजा करने की अनुमति दी गई।

1949

23 दिसंबर 1949 को भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में मिलीं, जिससे अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि का असली विवाद शुरू हुआ। इससे हिंदू धर्म के लोगों ने कहा कि यहां भगवान राम का असली प्रकट हुआ है। मुस्लिमों ने कहा कि किसी ने चुपके से यहां मूर्तियां रखीं। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार ने मूर्तियों को वहां से तुरंत हटाने का आदेश दिया। लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट (डीएम) केके नायर ने धार्मिक भावना को ठेस पहुंचने और दंगों को भड़काने के भय से इस आदेश को लागू नहीं करने का फैसला किया। सरकार ने इसे विवादित निर्माण मानकर बंद कर दिया।

1950

फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो मामले दाखिल किए गए। एक विवादित जमीन पर रामलला की पूजा की अनुमति दी गई, जबकि दूसरी मूर्ति को रखा जाने की अनुमति दी गई।

1961

यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने एक याचिका दाखिल की जिसमें पजेशन और मूर्तियों को विवादित जमीन से हटाने की मांग की।

1984

1 फरवरी 1986 में, यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद जिला जज केएम पांडे ने हिंदुओं को पूजा करने और ढांचे पर लगे ताले को हटाने की अनुमति दी।

1992

यह हिंसा एक ऐतिहासिक घटना थी। 6 दिसंबर 1992 को, वीएचपी और शिवसेना जैसे कई हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। इससे देश भर में सांप्रदायिक दंगे हुए, जिसमें हजारों लोग मारे गए।

2002

हिंदू कार्यकर्ताओं को ले जा रही गोधरा ट्रेन को आग लगा दी गई, जिसमें करीब 58 लोग मारे गए। इसके बाद गुजरात में भी दंगे भड़क गए, जिसमें दो हजार से अधिक लोग मारे गए।

2010

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।

2011

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की निर्णय पर रोक लगा दी।

2017

भाजपा के कई नेताओं पर आपराधिक साजिश आरोप बहाल किए गए और सुप्रीम कोर्ट ने बाहर सेटलमेंट का आह्वान किया।

2019

सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए 8 मार्च 2019 को भेजा और 8 सप्ताह के भीतर कार्यवाही को खत्म करने का आदेश दिया। 1 अगस्त को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की, और 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल मामले में समाधान निकालने में असफल रहे। इस बीच, अयोध्या मामले पर हर दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने लगी। 16 अगस्त 2019 को सुनवाई पूरी होने पर निर्णय सुरक्षित रखा गया।

2019, 09 नवंबर

श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने निर्णय दिया। वहीं हिंदू पक्ष को 2.77 एकड़ विवादित जमीन मिली, जबकि मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन अलग से दी गई।

2020

25 मार्च 2020 को पूरे 28 दिनों के बाद रामलला टेंट से निकलकर फाइबर मंदिर में चले गए. 5 अगस्त को भूमि पूजन हुआ।

2023

श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में अब रामलला का विशाल मंदिर बनकर तैयार है। 22 जनवरी 2024 को भव्य रामलला मंदिर का अभिषेक होगा। इस तरह, वर्षों की बहस समाप्त होगी और रामलला की पूजा की जाएगी।

22 जनवरी 2024 को भव्य राम मंदिर का अभिषेक

करीब पांच सौ साल की प्रतीक्षा और कड़ी मेहनत के बाद, 22 जनवरी 2024 को श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अभिषेक समारोह होगा। यह पुराने प्रेमियों के लिए श्रद्धा, प्रसन्नता और उत्साह का अवसर होगा। यह अवसर एक उत्सव की तरह होगा। 22 जनवरी को राम मंदिर का अभिषेक और प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 जनवरी 2024 को मंदिर का उद्घाटन करेंगे। मंदिर में सभी श्रद्धालु रामलला का दर्शन कर सकेंगे।

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