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स्वास्थ्य

आयुर्वेद में कैंसर से लड़ने वाली चीजें और उनकी भूमिका: जानें कैसे कम करें कैंसर का खतरा

आयुर्वेद में कैंसर से लड़ने वाली चीजें और उपाय: हल्दी, अश्वगंधा, तुलसी, नीम, गिलोय, पंचकर्म और सात्विक आहार से कैंसर का खतरा कम करें।

कैंसर से लड़ने वाली चीजें: कैंसर एक भयंकर बीमारी है, जिसे सुनते ही मन में डर और चिंता घर कर जाती है। लेकिन आयुर्वेद के अनुसार, सही जीवनशैली और औषधियों के माध्यम से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। आयुर्वेद में इसे अग्नि की कमजोरी और त्रिदोष के असंतुलन के कारण होने वाली बीमारी माना गया है। आयुर्वेदिक डॉक्टर चंचल शर्मा के अनुसार, शरीर में अग्नि मजबूत होने से कोशिकाओं की अनियमित वृद्धि रोकी जा सकती है और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।

कैंसर से लड़ने वाली चीजें

1. हल्दी: हल्दी आयुर्वेद में सूजन कम करने और कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि रोकने में मददगार मानी जाती है। इसका नियमित सेवन शरीर को अंदर से मजबूत बनाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

2. अश्वगंधा: अश्वगंधा तनाव, सूजन और कॉर्टिसोल के स्तर को कम करती है। कैंसर रोगियों के लिए यह कीमोथेरपी के दुष्प्रभावों को कम करने में भी सहायक है।

3. तुलसी: तुलसी कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में डीएनए की हानि को रोकने में मदद करती है। यह हर घर में उपलब्ध होने वाली एक साधारण लेकिन प्रभावशाली औषधि है।

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4. नीम: नीम रक्त को शुद्ध करता है और इम्युनिटी बढ़ाता है। इससे शरीर में जमा विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम होता है।

5. गिलोय: गिलोय को आयुर्वेद में ‘अमृत’ कहा जाता है। इसके सेवन से शरीर की सफाई होती है और कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

6. पंचकर्म: पंचकर्म आयुर्वेद की एक प्रभावशाली थेरेपी है, जो शरीर में जमा विषैले पदार्थों को बाहर निकालती है। यह कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में शरीर की प्राकृतिक हीलिंग को तेज करता है।

7. सात्विक आहार और फास्टिंग: आयुर्वेद में आहार का महत्व अत्यधिक माना गया है। कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए सात्विक और पौष्टिक आहार का सेवन जरूरी है। इसके अलावा समय-समय पर हल्की फास्टिंग भी लाभकारी होती है।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो कैंसर केवल एक रोग नहीं, बल्कि शरीर के दोषों और अग्नि असंतुलन का परिणाम है। सही औषधियां, सात्विक भोजन और पंचकर्म जैसी थेरेपी अपनाकर हम इस बीमारी के खतरे को कम कर सकते हैं और शरीर की प्राकृतिक हीलिंग क्षमता को बढ़ा सकते हैं।

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