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अगस्त 2025 में प्रदोष व्रत कब-कब पड़ेंगे? जानें शुभ तारीख और पूजा मुहूर्त

अगस्त 2025 में प्रदोष व्रत की सही तिथियां और शुभ मुहूर्त जानें। सावन और भाद्रपद माह में शिवजी की पूजा के लिए इस माह कब-कब करें प्रदोष व्रत और कैसे प्राप्त करें आध्यात्मिक लाभ।

अगस्त 2025 में प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा का सही समय जानना हर हिंदू भक्त के लिए खास होता है। प्रदोष व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को शुक्ल और कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। इस व्रत का विशेष महत्व सावन मास में और भी बढ़ जाता है, क्योंकि यह महीना महादेव का प्रिय माना जाता है। आइए जानते हैं  कब-कब पड़ेंगे अगस्त 2025 में प्रदोष व्रत और पूजा के शुभ मुहूर्त।

अगस्त 2025 में प्रदोष व्रत की तिथियां

अगस्त महीने में कुल दो प्रदोष व्रत पड़ेंगे:

  1. सावन माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी – 6 अगस्त 2025
    सावन मास की शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि 6 अगस्त दोपहर 2:08 बजे से शुरू होकर 7 अगस्त दोपहर 2:27 बजे तक रहेगी। इसलिए 6 अगस्त को सावन का अंतिम प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।

  2. भाद्रपद माह कृष्ण पक्ष त्रयोदशी – 20 अगस्त 2025
    भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि 20 अगस्त दोपहर 1:58 बजे से प्रारंभ होकर 21 अगस्त दोपहर 12:44 बजे तक रहेगी। इस दिन को भी प्रदोष व्रत के रूप में मनाया जाएगा।

अगस्त 2025 में प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त

  • 6 अगस्त 2025 (सावन शुक्ल पक्ष प्रदोष):
    शाम 7:08 बजे से रात 9:16 बजे तक का समय पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस अवधि में भगवान शिव की पूजा-अर्चना विशेष फलदायी होती है।

  • 20 अगस्त 2025 (भाद्रपद कृष्ण पक्ष प्रदोष):
    इस दिन पूजा का शुभ समय शाम 6:20 बजे से लेकर 8:33 बजे तक रहेगा। चूंकि यह बुधवार का दिन है, इसे ‘बुध प्रदोष व्रत’ कहा जाएगा।

प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

प्रदोष व्रत शिव और पार्वती पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस व्रत के पालन से कर्ज, रोग और तनाव से मुक्ति मिलती है। सावन मास में यह व्रत और भी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसी माह शिव और पार्वती जी का संबंध स्थापित हुआ था। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और शाम को प्रदोष काल में शिवलिंग पर जलाभिषेक, बेलपत्र अर्पण कर व्रत पूरा करते हैं।

कैसे करें प्रदोष व्रत?

प्रदोष व्रत रखने वाले भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं और शाम को मंदिर जाकर या घर पर पूजा करते हैं। इस दौरान शिव चालीसा, महा शिवरात्रि स्तोत्र और अन्य शिव-related भजन गाए जाते हैं। साथ ही, भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की जाती है।

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