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बारापुला फेज-3 कॉरिडोर को मिली पर्यावरणीय मंजूरी, एक साल में होगा पूरा, दिल्ली को मिलेगा सिग्नल फ्री सफर

दिल्ली के बारापुला फेज-3 कॉरिडोर को मिली पेड़ काटने और प्रत्यारोपण की मंजूरी। अब मयूर विहार से INA तक सफर होगा सिग्नल फ्री। परियोजना एक साल में होगी पूरी।

दिल्ली में वर्षों से लंबित बारापुला फेज-3 कॉरिडोर परियोजना को आखिरकार हरी झंडी मिल गई है। केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) ने इस परियोजना के लिए पेड़ काटने और प्रत्यारोपण की मंजूरी दे दी है। इस फैसले के साथ ही परियोजना पर काम तेजी से शुरू किया जाएगा और अगले एक साल में कॉरिडोर जनता के लिए खोल दिया जाएगा।

333 पेड़ों में से 85 पेड़ काटे जाएंगे, बाकी का प्रत्यारोपण

पर्यावरणीय स्वीकृति के तहत कुल 333 पेड़ों में से केवल 85 पेड़ काटे जाएंगे, जबकि 87 का प्रत्यारोपण किया जाएगा और 161 पेड़ों को संरक्षित रखा जाएगा। PWD और वन विभाग के संयुक्त सर्वे के बाद यह निर्णय लिया गया। सेंट्रल और साउथ फॉरेस्ट डिवीजन में हुए सर्वे के अनुसार पेड़ों की प्रजाति, स्थान और स्वास्थ्य का भी मूल्यांकन किया गया है।

मयूर विहार से INA तक सिग्नल फ्री यात्रा

दिल्ली के PWD मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने घोषणा की है कि यह कॉरिडोर मयूर विहार फेज-1 से आईएनए तक की यात्रा को पूरी तरह सिग्नल फ्री बनाएगा। इससे NH-24, रिंग रोड और DND फ्लाईवे पर ट्रैफिक का दबाव काफी कम होगा। साथ ही सराय काले खां से मयूर विहार को जोड़ने वाला यह कॉरिडोर मल्टी-मॉडल ट्रांजिट हब को भी बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।

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प्रोजेक्ट की लागत पहुंची ₹1330 करोड़

2014 में मंजूर हुई इस परियोजना की शुरुआत 2015 में हुई थी, लेकिन पर्यावरणीय अड़चनों और अनुमति के अभाव में काम रुक गया था। अब जब सभी स्वीकृतियां मिल गई हैं, तो प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत बढ़कर 964 करोड़ रुपये से ₹1330 करोड़ तक पहुंच चुकी है।

3.5 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर – ग्रीन टेक्नोलॉजी के साथ

यह 3.5 किमी लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर पियर-सपोर्टेड संरचना और एक्स्ट्राडोज ब्रिज तकनीक से बनाया जा रहा है, जिससे यमुना के बाढ़ क्षेत्र को नुकसान न पहुंचे। कॉरिडोर में दोनों ओर तीन-तीन लेन, 8 लूप, पैदल यात्रियों और साइकिल सवारों के लिए अलग ट्रैक और फुटपाथ भी होंगे।

दिल्ली में प्रदूषण कम करने में मदद

इस परियोजना से दिल्ली में रोजाना लगभग 2 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी, जो करीब 30,000 पेड़ों के बराबर पर्यावरणीय लाभ है।’

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