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IND vs ENG के बाद ब्रायडन कार्स ने लिया ब्रेक, द हंड्रेड से हटे

भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के बाद तेज गेंदबाज ब्रायडन कार्स ने वर्कलोड मैनेजमेंट के चलते ‘द हंड्रेड’ टूर्नामेंट से नाम वापस ले लिया है। जानिए क्यों लिया ये फैसला और क्या है एशेज से कनेक्शन।

हाल ही में खत्म हुई भारत बनाम इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के बाद जहां अधिकतर खिलाड़ी अगली क्रिकेट प्रतिबद्धताओं में जुट गए हैं, वहीं इंग्लैंड के तेज गेंदबाज ब्रायडन कार्स ने एक अलग रास्ता अपनाया है। पांच मैचों की इस थकाऊ सीरीज के बाद कार्स ने अपने वर्कलोड मैनेजमेंट के मद्देनज़र इस साल के ‘द हंड्रेड’ टूर्नामेंट से नाम वापस ले लिया है। उनका यह फैसला क्रिकेट जगत में चर्चा का विषय बन गया है।

थकान का असर: लगातार 4 टेस्ट में 155 ओवर फेंके: ब्रायडन कार्स

ब्रायडन कार्स ने भारत के खिलाफ 4 टेस्ट मैच खेले और इस दौरान उन्होंने 155 ओवर गेंदबाजी की। एक तेज गेंदबाज के लिए यह आंकड़ा बेहद चुनौतीपूर्ण होता है, खासकर भारतीय उपमहाद्वीप की गर्मी और पिचों पर। इसके अलावा, उन्होंने बल्लेबाजी में भी अहम योगदान दिया, जिससे उनके शरीर पर दबाव और बढ़ गया।

कार्स ने इस सीरीज में 9 विकेट चटकाए, जो इंग्लैंड के लिए बेहद मूल्यवान साबित हुए। ऐसे में उनके शरीर और मानसिक स्वास्थ्य को आराम देना जरूरी हो गया था।

‘द हंड्रेड’ टूर्नामेंट से बाहर रहने का बड़ा कारण

इंग्लैंड में इस समय चल रहे ‘द हंड्रेड’ टूर्नामेंट में कई बड़े खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। भारत के खिलाड़ी इस लीग में नहीं खेलते, लेकिन इंग्लैंड के अधिकांश टेस्ट खिलाड़ी सीधे इस प्रतियोगिता में उतर गए। हालांकि, कार्स ने अलग रुख अपनाते हुए टूर्नामेंट से हटने का फैसला किया, जिससे साफ संकेत मिलता है कि वे अपने शरीर को गंभीर क्रिकेट के लिए बचाकर रखना चाहते हैं।

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एशेज 2025 की तैयारी की ओर इशारा

ब्रायडन कार्स की इस फैसले के पीछे एशेज 2025 की तैयारी भी एक अहम कारण हो सकती है। इस साल नवंबर में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच प्रतिष्ठित एशेज सीरीज खेली जानी है। भले ही कार्स की एशेज टीम में जगह अब तक पक्की नहीं है, लेकिन उनका यह कदम यह स्पष्ट करता है कि वे खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से फिट बनाए रखना चाहते हैं।

अब तक कार्स 9 टेस्ट मैचों में इंग्लैंड के लिए खेल चुके हैं और उन्होंने 36 विकेट झटके हैं। यह प्रदर्शन इंग्लैंड की चयन समिति का ध्यान खींचने के लिए काफी हो सकता है, बशर्ते वे अगले कुछ महीनों तक पूरी तरह फिट रहें।

खिलाड़ी की सोच में बदलाव: वर्कलोड मैनेजमेंट बनी प्राथमिकता

ब्रायडन कार्स का यह निर्णय बताता है कि आज के खिलाड़ी अब सिर्फ खेलने पर नहीं, बल्कि लंबी अवधि के प्रदर्शन और स्मार्ट क्रिकेट शेड्यूलिंग पर भी ध्यान देने लगे हैं। क्रिकेट कैलेंडर दिन-ब-दिन व्यस्त होता जा रहा है और खिलाड़ियों को अपने शरीर की जरूरतों को समझते हुए ही फैसले लेने पड़ रहे हैं।

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