’अरावली बचाओ’ सभा में आम आदमी पार्टी के विधायक चैतर वसावा की हुंकार
खेड़ब्रह्मा तालुका के खेरोज में आयोजित “अरावली बचाओ” सभा में आम आदमी पार्टी के विधायक चैतर वसावा उपस्थित रहे। आम आदमी पार्टी के युवा नेता युवराजसिंह जाडेजा सहित बड़ी संख्या में पदाधिकारी, कार्यकर्ता, अरावली क्षेत्र के हजारों नागरिक, किसान, आदिवासी समाज और पर्यावरण प्रेमी विधायक चैतर वसावा के नेतृत्व में आयोजित इस सभा में शामिल हुए। सभा को संबोधित करते हुए चैतर वसावा ने कहा कि भाजपा सरकार उद्योगपतियों और खनन माफियाओं के दबाव में अरावली पर्वतमाला की परिभाषा बदल रही है। इस बदलाव का उद्देश्य केवल और केवल खनन माफियाओं को अरावली सौंपना है। भाजपा सरकार ने खनन माफियाओं के लिए लाल कालीन बिछाकर अरावली में खनन के लिए खुला निमंत्रण दे दिया है, जो राज्य और देश के भविष्य के लिए गंभीर खतरा है। भाजपा सरकार जल, जंगल और जमीन को लुटाना चाहती है। हम सरकार को स्पष्ट शब्दों में बताना चाहते हैं कि ये पहाड़ सरकार द्वारा बनाए हुए नहीं हैं, बल्कि हजारों वर्षों से अडिग खड़े प्राकृतिक पहाड़ हैं, और इन्हें नष्ट करने की किसी को भी अनुमति नहीं दी जाएगी।
चैतर वसावा ने दृढ़ता से कहा कि हम पहाड़ों और जंगलों को कभी लुटने नहीं देंगे। अरावली पर होने वाला अतिक्रमण केवल इस क्षेत्र के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानव जाति के लिए विनाशकारी साबित होगा। अरावली पर्वतमाला वातावरण को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और यदि अरावली नहीं बचेगी तो नदियां भी सूख जाएंगी, जिससे पानी का गंभीर संकट उत्पन्न होगा। आवश्यकता पड़ी तो अरावली को बचाने के लिए हम जनता को साथ लेकर गांधीनगर की ओर कूच करेंगे। जब राजस्थान और हरियाणा के लोग दिल्ली का आह्वान करेंगे, तब गुजरात से भी हजारों लोग दिल्ली जाकर इस संघर्ष में शामिल होंगे। जल, जंगल और जमीन के विनाश से यदि विकास होता है, तो ऐसे विकास की हमें कोई आवश्यकता नहीं है। विकास के नाम पर हम एक इंच जमीन भी देने को तैयार नहीं हैं।
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इस दौरान विधायक चैतर वसावा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि खेड़ब्रह्मा के खेरोज में आयोजित अरावली बचाओ–पर्यावरण बचाओ सभा में इस क्षेत्र के हजारों लोग उपस्थित रहे। सभी लोगों ने अपना आक्रोश व्यक्त किया और आने वाले दिनों में जैसे-जैसे दिशा-निर्देश मिलेंगे, उसी अनुसार आगे बढ़ने का निर्णय लिया गया है। 20 नवंबर 2025 को केंद्र शासित समिति द्वारा दायर की गई याचिका की सुनवाई में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि अरावली वही मानी जाएगी जिसकी ऊंचाई 100 मीटर से अधिक होगी। साथ ही 500 मीटर की दूरी पर स्थित पहाड़ियों को अरावली में शामिल नहीं किया जाएगा और उन्हें वन संरक्षण भी नहीं मिलेगा। इस कानूनी व्यवस्था के जरिए सरकार खनन माफियाओं के लिए रेड कार्पेट बिछा रही है, ऐसी हमें गहरी आशंका है।
आगे विधायक चैतर वसावा ने कहा कि अरावली के पहाड़ केवल पहाड़ नहीं हैं, बल्कि हमारी आस्था और हमारा अस्तित्व हैं। हमारा पर्यावरण, पानी और प्रकृति हमारी आने वाली पीढ़ियों का आधार है, और इसे बचाने के लिए हम हर मोर्चे पर लड़ने के लिए तैयार हैं। प्रधानमंत्री ने “एक पेड़ मां के नाम” जैसे बड़े-बड़े अभियान चलाए, लेकिन हसदेव के जंगल हों, ओडिशा के जंगल हों, असम, नागालैंड या झारखंड के जंगल हों — सभी उद्योगपतियों को सौंप दिए गए। उसी तरह अब अरावली के पहाड़ भी उद्योगपतियों को देने की जो साजिश चल रही है, उसका हम कड़े शब्दों में विरोध करते हैं। हम राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के लोगों के संपर्क में हैं। जरूरत पड़ी तो हम गांधीनगर की ओर कूच करेंगे और यदि माननीय सुप्रीम कोर्ट इस मामले की पुनः सुनवाई नहीं करता और सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेती, तो आने वाले दिनों में हम दिल्ली की ओर भी कूच करेंगे।
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