धर्म

सावन 2025: शिवलिंग पर बेलपत्र कैसे चढ़ाएं? जानें सही तरीका और मंत्र

सावन 2025 में शिवलिंग पर बेलपत्र कैसे चढ़ाएं? जानिए पूजा की सही विधि, नियम और बेलपत्र चढ़ाने का पवित्र मंत्र। शिव जी की कृपा पाने के लिए जरूर अपनाएं ये उपाय।

सावन 2025 में शिवलिंग पर बेलपत्र कैसे चढ़ाएं: सावन का महीना शुरू हो चुका है और इस पवित्र समय में शिवभक्त बड़े श्रद्धा के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं। विज्ञान और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बेलपत्र — जिसे त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश का प्रतीक माना जाता है, —(शिवलिंग पर बेलपत्र कैसे चढ़ाएं) शिवलिंग पर अर्पित करने से भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं। इस लेख में हम बताएंगे कि सावन में शिवलिंग पर बेलपत्र कैसे चढ़ाएं, किन नियमों का पालन करें, और उसे अर्पित करने का सही मंत्र क्या है।

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की विधि| (शिवलिंग पर बेलपत्र कैसे चढ़ाएं)

  1. पहला स्नान और साफ-सफाई: पूजा से पहले शारीरिक रूप से स्नान करें।

  2. बेलपत्र का चयन:

    • हरा-भरा, बिना छेद या पपड़ी, 3, 5, 11 या 21 पत्तियों वाला बेलपत्र चुनें।

  3. बेलपत्र धोएं: इसे गंगाजल या पवित्र जल से अच्छी तरह से धोकर पवित्र करें।

  4. ठीक ढंग से चढ़ाना:

    • बेलपत्र का चिकना हिस्सा शिवलिंग को स्पर्श करे।

    • पत्तों का डंठल आपकी ओर होना चाहिए।

  5. अभिषेक और मंत्रः

    • शिवलिंग पर जल, दूध या दही से अभिषेक करें।

    • इस दौरान ‘ॐ नमः शिवाय’ जैसे साधारण मंत्र या नीचे दिया गया बेलपत्र मंत्र जपें।

बिल्वपत्र चढ़ाने का विशेष मंत्र (देवनागरी लिपि में)

नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥

दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम्‌ पापनाशनम्‌। अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌॥

अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्‌। कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥
गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर। सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय॥

बेलपत्र चढ़ाते समय ध्यान देने योग्य बातें

  • ताजा, स्वच्छ, गंदगी-रहित बेलपत्र ही चढ़ाएं।

  • काट-छांट वाला पत्र न रखें।

  • खस्ता या मुरझाए पत्तों से बचें।

  • बेलपत्र वापस पानी से धोकर पुनः चढ़ाना भी शुभ माना जाता है।

क्यों जरूरी हैं ये रिवाज?

  • भक्ति सूचक: बेलपत्र को त्रिदेव का प्रतिनिधि माना गया है, जिससे शिव को अर्पित करना बेहद पुण्यदायी होता है।

  • भगवान का आशीर्वाद: शास्त्र बताते हैं कि इस विधि से भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं, अत्यंत पाप क्षम होते हैं और भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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