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हरियाणा सरकार ने पारिवारिक पेंशन मामलों को लेकर विभागों को दिए स्पष्ट निर्देश

हरियाणा सरकार ने विधवा, तलाकशुदा बेटियों और दिव्यांग बच्चों के पारिवारिक पेंशन मामलों में विभागों को नियमों के अनुसार कार्य करने के सख्त निर्देश दिए हैं। जानें नई गाइडलाइंस।

हरियाणा सरकार ने विधवा, तलाकशुदा बेटियों और दिव्यांग बच्चों को पारिवारिक पेंशन देने के मामलों में एक बड़ा कदम उठाते हुए सभी सरकारी विभागों को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित करने को कहा है कि ऐसे सभी मामलों में हरियाणा सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2016 के प्रावधानों का कड़ाई से पालन किया जाए।

यह निर्देश मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी (जो वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव का कार्यभार भी संभाल रहे हैं) द्वारा जारी किए गए एक आधिकारिक पत्र के माध्यम से सभी विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्तों, उपायुक्तों और उपमंडल अधिकारियों (नागरिक) को भेजे गए हैं।

क्या है मुद्दा?

प्रधान महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) के संज्ञान में यह बात आई है कि कई विभागों द्वारा पेंशन स्वीकृति में लापरवाही बरती जा रही है, खासकर विधवा, तलाकशुदा बेटियों और दिव्यांग आश्रित बच्चों के मामलों में। इससे ना केवल आश्रितों को अनावश्यक देरी का सामना करना पड़ता है बल्कि कई मामलों में अन्यायपूर्ण तरीके से लाभ से वंचित भी होना पड़ता है।

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नियमों की स्पष्टता

हरियाणा सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2016 के नियम 8(10)(बी) के तहत, परिवार की परिभाषा स्पष्ट की गई है। इसके अंतर्गत निम्न बिंदुओं को रेखांकित किया गया है:

  • वैध रूप से गोद लिए गए बेटे या बेटियाँ, चाहे वे हिंदू कानून या किसी अन्य व्यक्तिगत कानून के अंतर्गत गोद लिए गए हों, यदि वे कर्मचारी के साथ रह रहे हैं और पूरी तरह से आर्थिक रूप से आश्रित हैं, तो वे पारिवारिक पेंशन के पात्र हैं।

  • वहीं, सौतेले बच्चों को पारिवारिक पेंशन की पात्रता से बाहर रखा गया है, भले ही वे कर्मचारी के साथ रहते हों।

हरियाणा सरकार का उद्देश्य

हरियाणा सरकार का उद्देश्य है कि: कोई पात्र व्यक्ति पेंशन लाभ से वंचित न रहे। पेंशन प्रक्रिया पारदर्शी, समयबद्ध और नियमों के अनुरूप हो। आश्रितों को मानवीय दृष्टिकोण से समझते हुए फैसले लिए जाएं।

सरकारी अधिकारियों को सख्त निर्देश

मुख्य सचिव ने कहा है कि विभागों को पेंशन संबंधी मामलों की जांच पूरी गंभीरता और जिम्मेदारी से करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पात्र व्यक्ति को बिना किसी विलंब के उसका हक मिले।

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