राज्यमध्य प्रदेश

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का बयान: मध्यप्रदेश में पेट्रोलियम और खनिज संसाधनों की अपार संभावनाएं

मध्यप्रदेश में पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और कोल बेड मीथेन (CBM) सहित खनिज संसाधनों की अपार संभावनाएं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश में ऊर्जा आत्मनिर्भरता और खनन क्षेत्र के डिजिटल नवाचारों पर जोर दिया।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश में खनिज संसाधनों की प्रचुरता राज्य की समृद्धि का प्रमुख आधार बन रही है। प्रदेश में क्रिटिकल मिनरल्स, रेयर अर्थ एलिमेंट्स, हीरे और अन्य बहुमूल्य धातुओं के भंडार मिलने से मध्यप्रदेश खनन क्षेत्र में देश का नेतृत्व करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। साथ ही, प्रदेश की भूगर्भीय संरचना पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और कोल बेड मीथेन (CBM) जैसे हाइड्रोकार्बन संसाधनों के लिए अत्यंत अनुकूल है।

विशेषज्ञों के अनुसार, राज्य के पूर्वी हिस्से में गोंडवाना बेसिन और पश्चिमी-दक्षिणी हिस्से में नर्मदा एवं ताप्ती घाटियों में अवसादी चट्टानों का व्यापक प्रसार है, जो पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस खोज के लिए उपयुक्त हैं। शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, दमोह, पन्ना, छतरपुर, सागर, नरसिंहपुर, रायसेन, खंडवा, खरगोन, बड़वानी और छिंदवाड़ा जिलों में पेट्रोलियम और CBM गैस की विशेष संभावनाएं चिन्हित की गई हैं।

सीबीएम उत्पादन और नए ब्लॉक

मध्यप्रदेश में वर्तमान में 2 पेट्रोलियम माइनिंग लीज़ रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को दी गई हैं। शहडोल-अनूपपुर जिले के 500 वर्ग किलोमीटर ब्लॉक में वाणिज्यिक उत्पादन जारी है, जबकि 495 वर्ग किलोमीटर के दूसरे ब्लॉक में शीघ्र उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। दमोह जिले के हटा क्षेत्र में प्राकृतिक गैस का 200.2 वर्ग किलोमीटर का ब्लॉक खोजा गया है, जिसे 15 वर्षों के लिए ओएनजीसी को स्वीकृत किया गया है।

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पेट्रोलियम खोज के लिए बड़े क्षेत्र का आवंटन

प्रदेश में कुल 18,547 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पेट्रोलियम एक्सप्लोरेशन लाइसेंस स्वीकृत किए गए हैं। इन क्षेत्रों में 5 ब्लॉकों में खोज कार्य शुरू हो चुका है, जबकि 6 ब्लॉकों में आवश्यक स्वीकृतियां मिलने के बाद अन्वेषण जल्द ही शुरू होगा। इससे प्रदेश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को मजबूत करने में मदद मिलेगी।

तकनीकी नवाचारों से खनन क्षेत्र में पारदर्शिता और सुशासन

खनिज साधन विभाग ने डिजिटल तकनीकों को अपनाकर खनन क्षेत्र में पारदर्शिता, दक्षता और सुशासन सुनिश्चित किया है। खदानों की स्वीकृति, रॉयल्टी भुगतान, उत्पादन प्रबंधन, ई-ट्रांजिट पास जैसी सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध कराई गई हैं। साथ ही, 7 हजार से अधिक खदानों की जियोटैगिंग कर जीआईएस मैप पर चिन्हित किया गया है, जिससे अवैध खनन की निगरानी आसान हुई है।

प्रदेश में 40 प्रमुख मार्गों पर मानव रहित एआई आधारित ई-चेकगेट लगाए गए हैं, जिन्हें कमांड सेंटर से नियंत्रित किया जा रहा है। इससे खनिज परिवहन में पारदर्शिता बढ़ी है और अवैध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के तहत विकास कार्य

प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के अंतर्गत खनन प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, सड़क और महिला-बाल विकास से जुड़े परियोजनाओं का डिजिटल प्रबंधन किया जा रहा है। अधिकारियों और कर्मचारियों की उपस्थिति के लिए ई-अटेंडेंस प्रणाली लागू की गई है, जिससे प्रशासनिक प्रक्रिया में पारदर्शिता आई है।

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