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सीएम पुष्कर सिंह धामी की युवाओं के प्रति संवेदनशीलता: परीक्षा की तपिश झेली, धरना स्थल पर किया CBI जांच का ऐलान

UKSSSC पेपर लीक केस पर युवा आंदोलन के बीच, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने परेड ग्राउंड पहुंचकर CBI जांच की सिफारिश की। युवाओं की परिपक्वता और सरकार की संवेदनशीलता ने विवाद को समाधान की ओर मोड़ा।

सीएम पुष्कर सिंह धामी: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की परीक्षा लीक मामले को लेकर युवाओं के बीच उभरे आक्रोश और आंदोलन ने आखिरकार राज्य सरकार को झुका दिया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने परेड ग्राउंड में चल रहे धरने पर पहुंचकर खुद युवाओं से संवाद किया और CBI जांच की सिफारिश करने की घोषणा कर दी।

जहां आलोचना झेली, वहीं किया बड़ा ऐलान

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने वही मंच चुना जहां हाल के दिनों में उन्हें और उनकी सरकार को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके, उन्होंने उसी स्थान पर खड़े होकर आंदोलनरत युवाओं की मांग मान ली। यह कदम दर्शाता है कि मुख्यमंत्री ने ना केवल राजनीतिक समझदारी दिखाई, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों का भी सम्मान किया।

लंबे कार्यकाल में पहली बार इतनी बड़ी अग्निपरीक्षा

सीएम पुष्कर सिंह धामी, जो वर्तमान में उत्तराखंड में सबसे लंबे कार्यकाल वाले भाजपा मुख्यमंत्री हैं, इस पूरे आंदोलन की आंच में तपे जरूर, लेकिन अंततः परीक्षा में खरे उतरे। युवाओं ने भी परिपक्वता का परिचय देते हुए मंच पर तालियों से उनका स्वागत किया। यह आंदोलन राजनीतिक मोड़ न लेकर सकारात्मक संवाद और समाधान की दिशा में बढ़ा।

अब सरकार के जवाब देने की बारी

अब राज्य सरकार के सामने जिम्मेदारी है कि वह उन सभी प्रश्नों के उत्तर दे जो परेड ग्राउंड से उठे हैं। कुछ प्रश्न UKSSSC परीक्षा प्रक्रिया से जुड़े हैं, तो कुछ आने वाली सरकारी परीक्षाओं की पारदर्शिता को लेकर हैं। यह सरकार के लिए एक निर्णायक क्षण है, जिससे वह युवा वर्ग का विश्वास पुनः अर्जित कर सकती है।

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नकल विरोधी कानून की साख भी दांव पर

सीएम पुष्कर सिंह धामी को सिर्फ आंदोलनकारी युवाओं को ही नहीं, बल्कि अपने कार्यकाल के दौरान बनाए गए सख्त नकल विरोधी कानून की विश्वसनीयता को भी बचाना था। यह वही कानून है जिस पर भाजपा ने कई चुनावों में भरोसा जताया और विजय पाई। इस प्रकरण में यदि कोई हार का चेहरा रहा, तो वह हैं सरकार के सलाहकार, जिनकी रणनीति समय रहते कारगर नहीं साबित हुई।

DM और SSP का हस्तक्षेप बना टर्निंग प्वाइंट

जब आंदोलन ने तीव्र रूप लिया और युवाओं की नाराजगी चरम पर पहुंच गई, तब सरकार ने जिलाधिकारी और SSP को धरना स्थल पर भेजकर स्थिति को संभालने का प्रयास किया। यह कदम एक सेफ्टी वॉल्व की तरह काम आया, जिससे युवाओं को प्रशासन के सामने अपनी बात खुलकर रखने का मौका मिला।

सीएम ने खुद लिया सीबीआई जांच का निर्णय

हालांकि सरकार के कई सलाहकार नहीं चाहते थे कि मुख्यमंत्री खुद सामने आएं, लेकिन बीते कुछ दिनों में मुख्यमंत्री के बयानों में युवाओं के प्रति सहानुभूति और संवेदनशीलता स्पष्ट झलकने लगी थी। एक दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री ने तय कर लिया था कि यदि युवाओं का विश्वास CBI जांच से बहाल होता है, तो वह इसके लिए तैयार हैं।

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