मंगला गौरी व्रत 2025: क्यों खास है सावन का हर मंगलवार? जानें पूजा विधि, तिथि और लाभ

मंगला गौरी व्रत 2025 में जानें तिथियां, पूजा विधि और इसका धार्मिक महत्व। सावन के मंगलवार को रखें यह व्रत और पाएं वैवाहिक सुख व सौभाग्य।
मंगला गौरी व्रत 2025: सावन 2025 का पवित्र महीना आरंभ हो चुका है, और इस दौरान पड़ने वाले मंगलवारों को मंगला गौरी व्रत करने की परंपरा अत्यंत शुभ मानी जाती है। (मंगला गौरी व्रत 2025) यह व्रत माता पार्वती को समर्पित होता है और इसका उद्देश्य वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति है। जहां विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन की स्थिरता के लिए यह व्रत करती हैं, वहीं अविवाहित कन्याएं अच्छे और योग्य वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को श्रद्धा से निभाती हैं।
मंगला गौरी व्रत 2025: व्रत की तिथियां
व्रत | तिथि |
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पहला मंगलवार | 15 जुलाई 2025 |
दूसरा मंगलवार | 22 जुलाई 2025 |
तीसरा मंगलवार | 29 जुलाई 2025 |
चौथा मंगलवार | 05 अगस्त 2025 |
मंगला गौरी व्रत क्यों है विशेष?
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यह व्रत मंगल दोष को कम करता है, जिससे विवाह में आ रही देरी या रुकावटें समाप्त होती हैं।
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दांपत्य जीवन में प्रेम, विश्वास और आंतरिक सामंजस्य बना रहता है।
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माता पार्वती की कृपा से घर में सुख-शांति और धन-धान्य का आगमन होता है।
मंगला गौरी व्रत 2025 पूजन विधि (Mangala Gauri Vrat 2025 Puja Vidhi)
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ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ लाल वस्त्र धारण करें।
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घर के पूजन स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
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लाल कपड़े पर माता मंगला गौरी की प्रतिमा स्थापित करें।
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व्रत का संकल्प लें और पूजा प्रारंभ करें।
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माता को 16 श्रृंगार की वस्तुएं, मिठाई, फल, सूखे मेवे, फूल, पान, सुपारी, कुमकुम, लौंग, इलायची और 16 दीपक अर्पित करें।
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मंगला गौरी व्रत कथा का पाठ करें।
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108 बार “ॐ गौरी शंकराय नमः” मंत्र का जाप करें।
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अंत में माता की आरती करके व्रत का समापन करें।
मंगला गौरी व्रत 2025 लाभ और महत्त्व
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यह व्रत वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाता है।
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विवाह में देरी, कुंडली दोष या पारिवारिक अड़चनों को दूर करता है।
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जो कन्याएं यह व्रत करती हैं, उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
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संतान सुख और घर में समृद्धि बढ़ती है।
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मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन प्राप्त होता है।
मंगला गौरी व्रत 2025 शुभ योग
इस वर्ष 2025 में सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 15 जुलाई को है, जो मंगलवार को पड़ रहा है। इस दिन सौभाग्य योग, शोभन योग, और अमृत सिद्धि योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं, जिससे यह व्रत और अधिक फलदायी माना जा रहा है।
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