राज्यदिल्ली

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शिक्षकों से कहा – स्थानीय वस्तुओं और पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा देना है जिम्मेदारी

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शिक्षक सम्मान समारोह में कहा कि शिक्षकों की जिम्मेदारी है बच्चों को स्थानीय वस्तुओं, स्वदेशी सोच और पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा देना। 

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने गुरुवार को शिक्षक सम्मान समारोह में शिक्षकों से आग्रह किया कि वे छात्रों को केवल शैक्षिक ज्ञान ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति, स्वदेशी जीवनशैली और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को भी समझाएं। उन्होंने कहा कि शिक्षक बच्चों के लिए मार्गदर्शक होते हैं जो उन्हें जिम्मेदार नागरिक और सक्षम नेता बनने में मदद करते हैं।

एनडीएमसी द्वारा आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पांच सितंबर को आने वाले शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर यह बात कही। उन्होंने विशेष रूप से स्थानीय वस्तुओं के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि विदेशी उत्पादों को प्राथमिकता देने से स्थानीय व्यवसायों और छोटे उद्योगों को नुकसान पहुंचता है। इसलिए, शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों में स्वदेशी वस्तुओं का महत्व जागृत करें।

पर्यावरण संरक्षण पर सीएम का विशेष बल

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण के विषय पर भी शिक्षकों को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को बच्चों को जल संरक्षण, पेड़-पौधों के महत्व, और नदियों-पहाड़ों के संरक्षण के बारे में शिक्षित करना चाहिए ताकि वे पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनें और समाज में इसके संरक्षक बन सकें।

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शहर सुधार में सामूहिक प्रयासों की जरूरत

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने यमुना नदी की खराब स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि इस शहर की समस्याओं को दूर करने के लिए सभी नागरिकों को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदूषण के लिए सभी जिम्मेदार हैं और हमें इसे सुधारने के लिए सामूहिक प्रयास करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा, “अगर यमुना मेरे सामने आए तो मैं उससे माफी मांगूंगी।”

शिक्षकों से स्वदेशी सोच और संस्कृति के प्रति जुड़ाव बढ़ाने की अपील

अपने संबोधन के अंत में सीएम ने शिक्षकों की भूमिका की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे समाज के शिल्पकार हैं जो बच्चों के जीवन को संवारते हुए देश के भविष्य का निर्माण करते हैं। उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे बच्चों में स्वदेशी सोच, सांस्कृतिक जुड़ाव और पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा दें ताकि आने वाली पीढ़ी संस्कृति और प्रकृति से जुड़ी हो।

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