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पीएम मोदी का बड़ा ऐलान: किसानों के हित में कोई समझौता नहीं, चाहे व्यक्तिगत कीमत क्यों न चुकानी पड़े

अमेरिका के भारतीय कृषि उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने के बीच पीएम मोदी ने कहा कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए वे व्यक्तिगत कीमत चुकाने को भी तैयार हैं। भारत ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद सख्त रुख अपनाया।

पीएम मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत अपने किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हितों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है, चाहे इसके लिए उन्हें व्यक्तिगत कीमत ही क्यों न चुकानी पड़े। उन्होंने यह बयान मशहूर कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन की जन्म शताब्दी पर आयोजित वैश्विक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में दिया।

पीएम मोदी का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका ने भारतीय कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क (टैरिफ) 50% तक बढ़ा दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया है।

“हमारे लिए किसानों का हित सर्वोपरि” – पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा, “हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरे भाइयों-बहनों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा। मैं जानता हूं कि व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं। भारत तैयार है अपने देशवासियों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए।”

पीएम मोदी का यह बयान अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की आत्मनिर्भर कृषि नीति और किसानों के लिए अडिग प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भारत-अमेरिका व्यापार तनाव पर केंद्र की प्रतिक्रिया

बता दें कि अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाया है, जो 7 अगस्त से 25% लागू हो चुका है और 27 अगस्त से अतिरिक्त 25% और जुड़ जाएगा, जिससे कुल शुल्क 50% हो जाएगा। भारत सरकार ने इस कदम को “अनुचित और अनुचित रूप से कठोर” बताया है और कहा है कि इससे भारतीय किसानों और कृषि निर्यातकों को बड़ा नुकसान होगा।

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भारत सरकार ने अमेरिका को इस मुद्दे पर दोबारा बातचीत के लिए राजी करने की कोशिशें तेज कर दी हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान साफ दर्शाता है कि भारत किसी भी तरह के अंतरराष्ट्रीय दबाव में झुकने वाला नहीं है।

पीएम मोदी का संदेश वैश्विक मंच से

डॉ. स्वामीनाथन की शताब्दी पर आयोजित सम्मेलन में पीएम मोदी ने उनके योगदान को भी याद किया और कहा कि “डॉ. स्वामीनाथन के विचारों और कार्यों ने भारत को हरित क्रांति की ओर अग्रसर किया। आज भी उनकी नीतियां किसानों के कल्याण में मार्गदर्शन देती हैं।”

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