दिल्ली में जमीन के झगड़े होंगे खत्म! सरकार ने शुरू किया ग्रामीण आबादी देह का सर्वे

दिल्ली सरकार ने ग्रामीण इलाकों में आबादी देह सर्वे शुरू किया, जिससे लोगों को जमीन और मकान का कानूनी स्वामित्व और प्रॉपर्टी कार्ड मिलेगा।

दिल्ली सरकार ने ग्रामीण इलाकों में वर्षों से चले आ रहे जमीन और मकान के मालिकाना हक के विवाद को खत्म करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घोषणा की कि जल्द ही आबादी देह क्षेत्रों का व्यापक सर्वे किया जाएगा। इस सर्वे के जरिए ग्रामीणों को उनकी जमीन और मकान का कानूनी और वैधानिक अधिकार मिलेगा।

‘संपत्ति का वैधानिक हक देना है उद्देश्य’

मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार, सरकार ने इसके लिए ‘दिल्ली आबादी देह सर्वेक्षण और अभिलेख संचालन नियमावली, 2025’ का मसौदा तैयार किया है। यह पहल प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू की गई SVAMITVA योजना से जुड़ी है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को उनके संपत्ति का वैधानिक प्रमाणपत्र देना है।

सीएम रेखा गुप्ता ने कहा कि लाखों लोग दशकों से बिना किसी कानूनी दस्तावेज़ के अपने घरों में रह रहे हैं। अब इस नई व्यवस्था से उन्हें स्वामित्व का पक्का हक मिलेगा और वे बैंक लोन व अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।

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आधुनिक तकनीक से होगा सर्वे

सरकार इस सर्वे में ड्रोन और हवाई फोटोग्राफी का इस्तेमाल करेगी ताकि हर प्लॉट, गली, सड़क और घर की सटीक जानकारी मिल सके। इसके साथ ही मौके पर मैदानी सत्यापन भी किया जाएगा, ताकि सर्वे में कोई त्रुटि न हो।

अब तक का कार्य और भविष्य की योजना

राजस्व विभाग ने भारतीय सर्वेक्षण विभाग के सहयोग से 48 गांवों में काम शुरू किया है। अब तक 31 गांवों में ड्रोन सर्वे पूरा हो चुका है और 25 गांवों के नक्शे जांच के लिए भेजे जा चुके हैं।

सर्वे पूरा होने के बाद ग्रामीणों को डिजिटल प्रॉपर्टी कार्ड दिए जाएंगे, जो उनके मकान और जमीन का कानूनी प्रमाण होंगे। डिजिटल पोर्टल पर यह रिकॉर्ड कंप्यूटराइज किया जाएगा, जिससे लोग आसानी से अपने जमीन के कागजात प्राप्त कर सकेंगे।

आबादी देह क्या है?

आबादी देह वह क्षेत्र है जहां गांव की आबादी रहती है। इसमें घर, गोशाला, खलिहान और अन्य निर्माण शामिल हैं। आजादी से पहले इन इलाकों का अलग राजस्व रिकॉर्ड नहीं बनाया गया था, जिससे आज तक जमीन विवाद बने हुए हैं।

सीएम रेखा गुप्ता ने कहा कि इस सर्वे से न केवल जमीन विवाद समाप्त होंगे, बल्कि गांवों का विकास और बुनियादी सुविधाओं की योजना भी बेहतर तरीके से की जा सकेगी। यह कदम दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में पारदर्शी और मजबूत भूमि प्रबंधन की नींव रखेगा।

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