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बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने की वजह से जमानत अर्जियां दाखिल होने में ‘बेतहाशा वृद्धि’ : पटना हाईकोर्ट

पटना: शराबबंदी बिहार में अहम राजनीतिक मुद्दा रहा है। एनडीए के सत्ता में आने के बाद बिहार वासियों को आशा जगी, कि यही वो पार्टी है जो बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू कर सकती है लेकिन आंकड़े कुछ और ही बयां कर रहे हैं।

ख़बर है कि पटना हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने की वजह से जमानत अर्जियां दाखिल होने में ‘बेतहाशा वृद्धि’ हुई है और करीब 25 प्रतिशत नियमित जमानत आवेदन उक्त कानून के तहत ही दाखिल किये जा रहे हैं। देश में कोविड-19 के केस बढ़ते जा रहे हैं इस बीच हाई कोर्ट ने कहा कि, वह अपने कर्मियों की संख्या के आधे से कम के साथ काम कर रहा है और जमानत अर्जियों में बढ़ोतरी से नियमित जमानत आवेदनों के निस्तारण में देरी हो रही है।

बात यह है एक तरफ तो राज्य सरकार पूरे दमखम के साथ राज्य में शराबबंदी के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए हैं। शराबबंदी के तहत आरोपियों पर कार्रवाई की जा रही है वहीं न्यायलयों में जमानत के लिए अर्जियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, ऐसे में न्यायालय पर काम का दबाव काफ़ी हो गया है।

उसने शीर्ष अदालत में कहा कि, इस समय संबंधित पीठों के समक्ष 39,622 जमानत अर्जियां लंबित हैं, जिनमें 21,671 अग्रिम और 17,951 नियमित जमानत अर्जियां हैं। इनके अलावा 36,416 नये जमानत आवेदनों को लिया जाना है, जिनमें 20,498 अग्रिम तथा 15,918 नियमित जमानत अर्जियां हैं।”

मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने 11 जनवरी को एक अन्य मामले में बिहार सरकार की कुछ याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिनमें राज्य के सख्त शराब निषेध कानून के तहत आरोपियों को नियमित और अग्रिम जमानत देने को चुनौती दी गयी थी।

बता दें कि याचिकाकर्ता अभयानंद शर्मा द्वारा पटना हाईकोर्ट में मामलों के सूचीबद्ध नहीं होने के कारण सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की थी

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