Dussehra 2025 Kab Hai: जानिए दशहरा का शुभ मुहूर्त, रावण दहन और शस्त्र पूजा का सही समय
Dussehra 2025 कब है? जानिए इस साल दशहरा का शुभ मुहूर्त, रावण दहन का सही समय और शस्त्र पूजा की विधि ताकि त्योहार की विधिवत तैयारी कर सकें।
Dussehra 2025: हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक दशहरा (Dussehra) का पर्व हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष दशहरा 1 अक्टूबर 2025 को पड़ रहा है। यह दिन भगवान राम द्वारा रावण का वध करने और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक माना जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं दशहरा 2025 का शुभ मुहूर्त, रावण दहन का समय और शस्त्र पूजा की परंपरा।
Dussehra 2025 कब है?
दृक पंचांग के अनुसार, Dussehra 2025 की तिथि 1 अक्टूबर 2025 की शाम 7 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर 2 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि के आधार पर यह पर्व 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस बार दशहरा के दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जैसे रवि योग, सुकर्मा योग और धृति योग, जो इस त्योहार को और भी पावन बना देते हैं।
Dussehra 2025 का शुभ मुहूर्त
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सुबह का शुभ मुहूर्त: सुबह 4:38 से 5:26 बजे तक
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अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:46 से 12:34 बजे तक
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विजय मुहूर्त: दोपहर 2:09 से 2:56 बजे तक
इन मुहूर्तों में किए गए कार्य विशेष फलदायक माने जाते हैं।
रावण दहन का सही समय
दशहरा के अवसर पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन विशेष महत्व रखता है। इस वर्ष रावण दहन का शुभ समय प्रदोष काल में होगा, जो सूर्यास्त के बाद शुरू होता है।
सूर्यास्त का समय 6:06 बजे शाम है, इसके बाद प्रदोष काल शुरू होगा और इसी समय रावण दहन किया जाना शुभ माना जाएगा।
शस्त्र पूजा का महत्व और शुभ समय
दशहरा पर शस्त्र पूजा का भी विशेष महत्व है। इसे देवी दुर्गा की शक्तिपूजा का अंत माना जाता है। इस दिन शस्त्र पूजन से वीरता, शक्ति और सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस वर्ष शस्त्र पूजा का शुभ समय दोपहर 2:09 बजे से 2:56 बजे तक रहेगा। इस दौरान शस्त्र पूजन करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
दशहरा पर्व का धार्मिक महत्व
दशहरा भगवान राम की लंका विजय और रावण वध की स्मृति में मनाया जाता है। यह पर्व सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दशहरे के दिन विभिन्न स्थानों पर रावण दहन समारोह आयोजित होते हैं, जिनमें श्रद्धालु बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। साथ ही दुर्गा पूजा का समापन भी दशहरे पर होता है, जिसमें शक्ति की आराधना की जाती है।
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