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विनायक चतुर्थी 2025: अक्टूबर माह में विनायक चतुर्थी व्रत की तिथि, पूजा विधि और महत्व

विनायक चतुर्थी 2025 का शुभ मुहूर्त, व्रत का सही समय और पूजा विधि जानें। इस दिन भगवान गणेश की पूजा से मिलते हैं सुख, समृद्धि और बाधाओं से मुक्ति। पढ़ें विनायक चतुर्थी का महत्व और सही पूजा तरीका।

विनायक चतुर्थी 2025: विनायक चतुर्थी हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि है, जिसे भगवान गणेश की पूजा और व्रत के रूप में मनाया जाता है। सनातन धर्म में प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। यह दिन विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस वर्ष अक्टूबर माह में विनायक चतुर्थी 2025 का व्रत 25 अक्टूबर को रखा जाएगा, जिसका शुभ मुहूर्त देर रात 1 बजकर 19 मिनट से शुरू होकर अगले दिन सुबह 3 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।

विनायक चतुर्थी का महत्व

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है, जो जीवन के सभी कष्ट, बाधाएं और संकट दूर करते हैं। विनायक चतुर्थी के दिन श्रद्धापूर्वक व्रत और पूजा करने से बुद्धि, धैर्य, समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है। यह दिन घर में सुख-शांति और आर्थिक समृद्धि लाने वाला माना जाता है। साथ ही, इस दिन दान-पुण्य करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है।

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विनायक चतुर्थी 2025 पूजा विधि

स्नान एवं संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।

गणेश स्थापना: पूजा स्थल पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

पूजा सामग्री अर्पित करें: गणेश जी को रोली, चंदन, कुमकुम का तिलक लगाएं। लाल फूल, अक्षत (चावल), और दूर्वा चढ़ाएं।

भोग अर्पण करें: मोदक, लड्डू, शुद्ध घी और गुड़ भगवान गणेश को भोग लगाएं।

मंत्र जाप: ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।

कथा और आरती: विनायक चतुर्थी की कथा पढ़ें और भगवान गणेश की आरती करें।

व्रत का पारण: दिन भर उपवास रखें, संध्या काल में चंद्रमा को अर्घ्य दें और व्रत खोलें।

प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद सभी को वितरित करें।

विनायक चतुर्थी 2025 कब और क्यों मनाई जाती है?

विनायक चतुर्थी हर माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है, लेकिन विशेष रूप से इसका महत्व अक्टूबर माह में अधिक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश विघ्नों को दूर करते हैं और सभी शुभ कार्यों की शुरुआत उनके नाम से होती है। इसलिए श्रद्धालु इस दिन उनकी आराधना कर जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति की कामना करते हैं।

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