राज्यपंजाब

हरपाल चीमा: स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन की मांगों पर कार्रवाई तेज़ करने के निर्देश

वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन की जायज़ मांगों पर तेज़ कार्रवाई के निर्देश दिए।

पंजाब के वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने एक बड़ा और सराहनीय कदम उठाते हुए राज्य के स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन की लंबित और जायज़ मांगों पर त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। यह कदम भारत के स्वतंत्रता संग्राम की विरासत को सम्मान देने की दिशा में एक मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के मुद्दों पर हुई व्यापक चर्चा

मंगलवार को चंडीगढ़ में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान हरपाल सिंह चीमा ने ‘स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन, पंजाब’ के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। बैठक में संगठन के अध्यक्ष चतिन सिंह सेखों (मानसा), महासचिव रविंदर सिंह नंगला (बठिंडा) और वरिष्ठ उपाध्यक्ष मेजर सिंह (बरनाला) मौजूद रहे। इन प्रतिनिधियों ने संगठन की मुख्य मांगें और वर्षों से लंबित समस्याएं वित्त मंत्री के सामने रखीं।

निर्देश दिए पारदर्शी और समयबद्ध समाधान के

वित्त मंत्री ने बैठक के दौरान स्वतंत्रता सेनानी विभाग की विशेष मुख्य सचिव, राजी पी. श्रीवास्तव को सभी संबंधित मांगों के त्वरित और पारदर्शी समाधान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि: “यह राज्य का पवित्र दायित्व है कि वह उन वीरों और उनके परिवारों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा करे, जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया।”

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पंजाब सरकार की प्रतिबद्धता अडिग

हरपाल सिंह चीमा ने स्पष्ट किया कि आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार स्वतंत्रता सेनानियों और उनके उत्तराधिकारियों के अधिकारों के संरक्षण और उनके योगदान के सम्मान में पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने दोहराया कि सरकार उनके साथ केवल ‘संवेदनाओं’ से नहीं, बल्कि व्यवहारिक नीतियों और ठोस कार्यों के माध्यम से खड़ी है।

ऐतिहासिक जिम्मेदारी निभाने की बात

चीमा ने यह भी कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की नींव रखने में जो योगदान दिया, वह कभी भुलाया नहीं जा सकता। ऐसे में उनकी विरासत को सम्मानित करना और उनके उत्तराधिकारियों को सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक रूप से मान्यता देना राज्य की ऐतिहासिक और नैतिक जिम्मेदारी है।

बैठक से निकला सहयोगात्मक संदेश

यह बैठक केवल मांगों की सुनवाई तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसमें यह भी तय हुआ कि निरंतर संवाद और जवाबदेही के साथ सरकार और संगठन मिलकर आगे बढ़ेंगे। इस सहयोगात्मक दृष्टिकोण से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि स्वतंत्रता संग्राम की विरासत से जुड़े परिवारों को उनका अधिकार और सम्मान समय रहते प्राप्त हो।

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