स्वास्थ्य

प्रेग्‍नेंसी में इस चीज का करें सेवन, बच्चे का दिमाग होगा तेज और याद्दाश्‍त भी होगी मजबूत

प्रेग्‍नेंसी का समय बहुत ही नाजुक होता है, इस दौरान महिलाओं को अपनी सेहत का खास ख्‍याल रखना होता है। आखिर रखना भी चाहिए क्योंकि उनके शिशु को उनके आहार से ही पोषण मिलता है जिससे वो विकास कर पाता है। कई महिलाओं को फिश खाना बहुत अच्‍छा लगता है कि लेकिन उन्‍हें यह समझ नहीं आता कि उन्‍हें अपनी प्रेग्‍नेंसी के दौरान इसे अपने डाइट में शामिल करना चाहिए भी या नहीं।

हेल्‍थ विशेषज्ञों का कहना है कि मछली बहुत पौष्टिक होती है और अगर आप नॉन वेजिटेरियन हैं, तो आपको अपने आहार में फिश को जरूर शामिल करना चाहिए। लेकिन क्‍या गर्भवती महिलाएं मछली खा सकती हैं।

अगर आप भी प्रेगनेंट हैं और आपको फिश का स्‍वाद बहुत पसंद है तो अपनी प्रेग्‍नेंसी डाइट में इसे शामिल करने से पहले आप यह जान लें कि फिश खाना इस समय सही होता है या नहीं।

प्रेग्‍नेंसी में फिश खाना सही है या नहीं
आप प्रेग्‍नेंसी में फिश खा सकती हैं लेकिन आपको इसका चयन बहुत सावधानी से करना होगा और इसकी मात्रा का भी ध्‍यान रखना होगा। शुरुआती विकास के दौरान शिशु को कई तरह के पोषक तत्‍वों की जरूरत होती है जो फिश में प्रचुर मात्रा में होते हैं।

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प्रेग्‍नेंसी में खा सकते हैं फिश
आप प्रेग्‍नेंसी में फिश खा सकती हैं लेकिन आपको इसका चयन बहुत सावधानी से करना होगा और इसकी मात्रा का भी ध्‍यान रखना होगा। शुरुआती विकास के दौरान शिशु को कई तरह के पोषक तत्‍वों की जरूरत होती है जो फिश में प्रचुर मात्रा में होते हैं।

कितनी मात्रा है सही
एफडीए और ईपीए के अनुसार हर हफ्ते दो से तीन सर्विंग में 226 से 340 ग्राम फिश खा सकते हैं। ब्रेस्‍टफीडिंग करवाने वाली मां को भी इतनी ही फिश खानी चाहिए। ज्‍यादा फिश खाने से भ्रूण के विकास में गंभीर बाधाएं आ सकती हैं।

क्‍यों जरूरी है फिश
में प्रकाशिक एक आर्टिकल के अनुसार मछली के तेल में ओमेगा.3 फैटी एसिड होते हैं जो कार्डियोवस्‍कुलर बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद करते हैं। प्रेग्‍नेंसी के आखिर में सीएनएस ग्रोथ और भ्रूण के मस्तिष्‍क के विकास के लिए ओमेगा.3 आवश्‍यक होता है। ये शिशु को मां के आहार से ही मिलते हैं। प्रेग्‍नेंसी में ऑयली फिश खाने से शिशु के बर्थ वेट और प्रेग्‍नेंसी के पूरे होने पर हल्‍का सा पॉजिटिव असर देखा गया है।

मात्रा का रखें ध्यान
फिश में मर्करी होता है इसलिए गर्भवती महिलाओं को कम मात्रा में ही इसका सेवन करने की सलाह दी जाती है। फिश में मौजूद मेथाइल मर्करी हमारे शरीर से प्‍लेसेंटा के जरिए भ्रूण तक पहुंचता है। यहां तक कि लो लेवल मेथाइल मर्करी का भी शिशु के मस्तिष्‍क और नर्वस सिस्‍टम पर असर पड़ सकता है। इससे बच्‍चे की विजनए लैंग्‍वेजए मोटर स्किल्‍स और कॉग्‍नीटिव स्किल्‍स प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए प्रेगनेंट महिलाओं को अपने खाने में फिश की मात्रा का ख्‍याल रखना चाहिए।

फिश को खाने के फायदे
मछली में लीन प्रोटीन होता है जो कि भ्रूण के विकास के लिए एक अहम एमीनो एसिड है। यह शिशु के बालोंए हड्डियोंए स्किन और मांसपेशियों के लिए कोशिकाएं बनाने में मदद करता है। सैल्‍मन में डीएचए नाम का ओमेगा.3 होता है जो शिशु के मस्तिष्‍क के विकास को बढ़ावा देता है। ओमेगा.3 से शिशु की याद्दाश्‍त के विकास को बढ़ावा मिलता है। मछली खाने से ब्‍लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है और प्रीटर्म बर्थ का खतरा कम होता है।

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