गणेश चतुर्थी 2025: क्यों नहीं चढ़ाई जाती तुलसी भगवान गणेश को? पढ़ें खास कथा
गणेश चतुर्थी 2025 पर गणेश जी को तुलसी अर्पित न करने का धार्मिक कारण जानें। ब्रह्मवैवर्त पुराण की कथा और पूजा विधि से जुड़ी खास जानकारी पढ़ें।
गणेश चतुर्थी 2025 के पावन अवसर पर भक्त गणेश जी की पूजा-अर्चना बड़े हर्षोल्लास से करते हैं। इस दिन भगवान गणेश को विशेष रूप से मोदक, दूर्वा, और अन्य शुभ सामग्री अर्पित की जाती है। लेकिन एक बात जिसका हर भक्त ध्यान रखता है, वह यह कि गणेश जी को तुलसी का पौधा या तुलसी के पत्ते कभी भी अर्पित नहीं किए जाते। ऐसा क्यों है? इस विषय में एक प्राचीन और महत्वपूर्ण कथा पुराणों में वर्णित है, जो इस परंपरा के पीछे की गहराई को दर्शाती है।
गणेश जी को तुलसी न अर्पित करने का धार्मिक कारण- गणेश चतुर्थी 2025
तुलसी को भगवान विष्णु की अत्यंत प्रिय माना जाता है। वे तुलसी को अपने पूजा स्थल पर प्रमुख स्थान देते हैं और इसे पवित्र पौधा समझा जाता है। परंतु गणेश जी के लिए तुलसी को अर्पित करना वर्जित माना गया है। इसके पीछे ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णित एक रोचक कथा है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण की कथा
एक समय की बात है, तुलसी देवी तपस्या के लिए तीर्थों का भ्रमण करते हुए गंगा तट पर पहुँचीं। वहाँ उन्होंने भगवान गणेश को देखा, जो पीताम्बर वस्त्र धारण किए, रत्नाभूषणों से सुसज्जित, और श्रीकृष्ण के चरणकमलों का ध्यान करते हुए बैठे थे। तुलसी देवी गणेश जी की सुंदरता और भव्यता से आकर्षित हुईं, परन्तु उनकी प्रकृति और स्वरूप पर प्रश्न उठाया और उनका उपहास करने लगीं।
गणेश जी ने यह देख उनसे पूछा कि आप कौन हैं और यहाँ क्यों आई हैं। तुलसी ने उत्तर दिया कि वे पति प्राप्ति के लिए तपस्या कर रही हैं और चाहती हैं कि गणेश उनके स्वामी बनें। गणेश जी ने नम्रता से उन्हें यह कहकर इंकार किया कि वे इस विषय में इच्छुक नहीं हैं।
तुलसी देवी के क्रोध से उत्पन्न हुई तीखी बातचीत के बाद, दोनों ने एक-दूसरे को श्राप दिया। तुलसी को असुरों द्वारा ग्रस्त होने और वृक्ष बनने का श्राप मिला, वहीं गणेश जी को विवाह करने का श्राप। हालांकि, अंत में गणेश जी ने तुलसी की पूजा को मानवों के लिए मुक्तिदायक बताया, पर स्वयं के लिए तुलसी से पूजा त्याज्य रहने का विधान किया।
पूजा पर क्या प्रभाव पड़ता है? गणेश चतुर्थी 2025
(गणेश चतुर्थी 2025) इस कथा के आधार पर, गणेश जी को तुलसी अर्पित करना वर्जित माना गया है। तुलसी देवी की पूजा भगवान विष्णु और विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के लिए होती है। जबकि गणेश जी को दूर्वा, मोदक, और अन्य पारंपरिक पूजन सामग्री अर्पित की जाती हैं।
तुलसी और गणेश जी की पूजा में सावधानी क्यों?
हिंदू धर्म में प्रत्येक देवता की पूजा के अपने विशिष्ट नियम और परंपराएं होती हैं। तुलसी का विशेष संबंध भगवान विष्णु से है, और उसे गणेश जी को अर्पित करना पूजा की विधि और धार्मिक भावना के विरुद्ध माना जाता है। यह परंपरा भक्तों को शुद्धता और धार्मिक अनुशासन का पाठ पढ़ाती है।
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