Haryana Assembly Election: भाजपा ने अनुसूचित जाति के आरक्षण वाले 17 सीटों का प्रस्ताव बनाया है। लगता है कि जिस तरह से कांग्रेस में कुमारी सैलजा की उपेक्षा हुई है। उसे मुद्दा बनाते हुए वह दलितों को लुभा सकती है
Haryana Assembly Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव का अंतिम चरण चल रहा है। 5 अक्टूबर को चुनाव होने से पहले, भाजपा ने अपनी पूरी शक्ति लगा दी है। भाजपा ने वर्तमान में “प्लान 17” बनाया है, जिसके माध्यम से वह पूरे खेल को बदलने की उम्मीद में है। भाजपा ने अनुसूचित जाति के आरक्षण वाले 17 सीटों का प्रस्ताव बनाया है। लगता है कि जिस तरह से कांग्रेस में कुमारी सैलजा की उपेक्षा हुई है, उसे मुद्दा बनाते हुए वह दलितों को लुभा सकती है। भाजपा को 90 सीटों वाले हरियाणा में 17 सीटों पर जीत की उम्मीद है।
भाजपा इन इलाकों में बड़ी रैलियों की जगह माइक्रो मैनेजमेंट कर रही है। भाजपा इन विधानसभा क्षेत्रों में बताने की कोशिश कर रही है कि कैसे कांग्रेस शासन में हरियाणा में दलितों पर अत्याचार हुआ। वहीं, भाजपा सरकार के दौरान हरियाणा से लेकर केंद्र सरकार तक दलितों के हित में क्या किया गया था। इसे बताया जाता है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि इससे कुछ और वोट मिलने की उम्मीद है। वर्तमान में जाट मतदाताओं के ध्रुवीकरण का कारण कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा है। भाजपा को हुड्डा का जाटों पर असर और कुमारी सैलजा की उपेक्षा के नाम पर वे दलितों को लुभा सकेंगे।
भाजपा ने खासतौर पर आरएसएस के कर्मचारियों को इस काम में लगाया है। भाजपा ने पन्ना प्रमुख और संघ के कार्यकर्ताओं को नियुक्त किया है। इन लोगों का काम है कि वे घर-घर जाकर लोगों से मिलें। स्थानीय दलित नेताओं को खासतौर पर आमंत्रण और कार्यक्रम मिल रहे हैं। भाजपा ने नरवाना विधानसभा से दलित लीडर कृष्ण बेदी को उतारा है। वह खुद को अपने चुनाव प्रचार में कांग्रेस राज की याद दिलाते हुए बता रहे हैं कि कैसे कांग्रेस के दौर में दलितों पर अत्याचार हुए थे।
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में अंबाला और सिरसा की रिजर्व सीटों पर जीत हासिल की थी। इसे एक संकेत माना गया था कि जाट और दलित वोट कांग्रेस के पक्ष में लामबंद हुआ है। अब उसे ही तोड़ने की कोशिश में भाजपा जुटी है और इसके लिए अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर जोर दिया जा रहा है। हरियाणा में दलित मतदाताओं की संख्या लगभग 20% है। यह वोटबैंक कई सीटों पर परिणामों को बदल सकता है। हरियाणा में चंद्रशेखर रावण की आजाद समाज पार्टी भी चुनाव लड़ रही है। इसलिए दलित वोट बैंक का एक हिस्सा बंट सकता है और यदि भाजपा को भी इसमें सेंध लगाने का मौका मिला तो कुछ बदलाव हो सकता है।