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Haryana Assembly Elections: हरियाणा में 20 सीटें फंसा रहीं पेच, कांग्रेस भी चिंतित है; भाजपा ने गेम पलटने का बड़ा प्लान बनाया

Haryana Assembly Elections: भाजपा को पन्ना प्रमुख की रणनीति में आरएसएस के काडर से सहयोग की अपेक्षा है। वहीं नमो ऐप के जरिए भी बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं को ऐक्टिव करने की कोशिश है।

Haryana Assembly Elections: हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब दो सप्ताह से भी कम समय बचा है। उससे पहले 10 साल की ऐंटी-इनकम्बैंसी का सामना कर रही भाजपा ने कमर कस ली है। भाजपा ने पन्ना प्रमुख का अभियान तेज करने का निर्णय लिया है और आरएसएस से इस चुनाव में मदद मांगी है। पन्ना प्रमुख की रणनीति में आरएसएस काडर से सहयोग की उम्मीद है। बूथ लेवल के कर्मचारियों को भी नमो ऐप का उपयोग करने का प्रयास है। दरअसल यह पूरी कवायद इसलिए तेज है क्योंकि सूबे की करीब 20 ऐसी सीटें हैं, जिन पर भाजपा को गेम पलटने की उम्मीद है।

इन सीटों पर कोई भी विजेता नहीं है। यहाँ मुकाबला त्रिकोणीय या बहुकोणीय है। निर्दलीय भी कई सीटों पर बेहद मजबूत स्थिति में हैं। भाजपा इसे एक अवसर के रूप में देख रही है, जबकि कांग्रेस इन सीटों को लेकर चिंतित है। इन सीटों में हिसार, सिरसा, कुरुक्षेत्र हैं। भाजपा को लगता है कि वह वोटों के बंटवारे के बीच अपने काडर को मजबूती से ऐक्टिव कर सकती है। इसलिए संघ के साथ समन्वय बनाकर काम करने की योजना बनाई जा रही है। पन्ना प्रमुख की रणनीति पर काम करते हुए अगले दस दिनों में गली-गली और गांव-गांव तक जाने का कार्यक्रम है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने कहा कि हमारी पार्टी ग्रामीण कार्यकर्ताओं वाली है। बहुत से लोग निस्वार्थ सहयोग करते हैं। ऐसे में लोगों से अपील की जाएगी कि वे पार्टी को चुनाव में मदद करें। मेरा बूथ सबसे मजबूत का नारा दिया जाएगा और पन्ना प्रमुख की रणनीति के साथ आगे बढ़ा जाएगा। दरअसल भाजपा नेतृत्व को लगता है कि बड़ी संख्या में संघ के कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव में निष्क्रिय थे और अब यदि उनकी मदद मिल जाए तो स्थिति बदल भी सकती है।

कहा जा रहा है कि आरएसएस ने भी लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा से समन्वय में कमी की शिकायत की थी। ऐसे में भाजपा नेतृत्व ने अब आरएसएस को चुनाव में साथ लेने का निर्णय लिया है। इस मुद्दे पर पिछले महीने कुछ बैठकें भी हुईं। यही नहीं, अंबाला सहित कई स्थानों पर आरएसएस बैकग्राउंड के लोगों को टिकट मिले हैं। यहां तक कि पार्टी ने चुनाव में चालिस नए लोगों को उतारा है। ऐसे तमाम कैंडिडेट हैं, जिनका पूरा प्रचार ही आरएसएस से जुड़े लोगों ने संभाल रखा है।

 

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