Haryana Assembly Elections: भाजपा हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से परहेज कर रही है। वहीं, नायब सिंह सैनी को लेकर पार्टी में क्रेज है। इसके पीछे की रणनीति क्या है?..।
Haryana Assembly Elections: भाजपा की हरियाणा विधानसभा चुनाव की रणनीति इस बार कुछ बदली हुई दिखती है। पार्टी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के लिए क्रेज दिखा रही है। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से परहेज कर रही है। हरियाणा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोनों रैलियों से खट्टर को बाहर रखा जाना कुछ ऐसा ही संकेत दे रहा है। जानकारों के मुताबिक इसके पीछे की रणनीति बेहद खास है। पार्टी को लगता है कि खट्टर के कारण फैली निगेटिविटी घातक हो सकती है। साथ ही, हरियाणा में बड़े ओबीसी वोट बैंक को लाने में सीएम सैनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अभी तक हरियाणा में दो चुनावी रैलियों में भाषण दिया है। पहले 14 सितंबर को कुरुक्षेत्र में और कल यानी बुधवार को सोनीपत में। दोनों ही रैलियों में मनोहर लाल खट्टर नजर नहीं आए। 90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा में पांच अक्टूबर को मतदान होना है।
बता दें रखें कि हरियाणा चुनाव से कुछ महीने पहले मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया और उनकी जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया गया था। भाजपा इस विधानसभा चुनाव में भी सैनी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर मैदान में उतर रही है। भाजपा नेताओं ने मनोहर लाल खट्टर को लेकर अपनी रणनीति का संकेत दिया है। भाजपा नेताओं ने कहा कि पार्टी खट्टर के खिलाफ फैली गंदी प्रतिक्रिया से बचने के लिए ऐसा कर रही है। भाजपा हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। भाजपा नेताओं ने इस बारे में बताया। पार्टी का मानना है कि गैर जाट, पिछड़े और पंजाबी वोटों से भाजपा 2014 और 2019 में हरियाणा में अपना प्रदर्शन दोहरा सकती है।
वहीं, एक अन्य वरिष्ठ भाजपा नेता ने मोदी की रैली से खट्टर की गैरमौजूदगी को पार्टी का स्मार्ट मूव बताया। उन्हें लगता था कि ऐसा करने से सत्ताविरोधी लहर कम होगी। उनका कहना था कि सोनीपत में खट्टर की रहने का कोई मतलब नहीं था। इस भाजपा नेता के मुताबिक जाट बहुत इलाके में उनकी मौजूदगी से पार्टी को नुकसान हो सकता था।
14 सितंबर को मोदी ने कुरुक्षेत्र, भाजपा का गढ़ मानने वाले जीटी रोड क्षेत्र से पार्टी का प्रचार अभियान शुरू किया था। पड़ोसी राज्य करनाल से सांसद होने के बावजूद खट्टर की गैरमौजूदगी ने कई प्रश्न उठाए। बताया यह भी जा रहा है कि भाजपा ने खट्टर से पूरी तरह से दूरी नहीं बनाई है। वह उनका सोच-समझकर इस्तेमाल कर रही है। वह खट्टर को केवल उन इलाकों में लेकर जा रही है, जहां उनके जाने से पार्टी का वोट बढ़े।
यह भी दिलचस्प है कि एक तरफ भाजपा खट्टर को लेकर सेलेक्टिव है। वहीं, विधानसभा चुनाव में सीएम खट्टर के कार्यकाल में बने सिद्धांतों को आजमा रही है। भाजपा यहां पर ‘नो परची, नो खरची’ के नारे के साथ है। यह नारा मनोहर लाल खट्टर के सीएम रहते ही गढ़ा गया था और अमल में लाया गया था। जमीनी स्तर पर इसका असर भी देखने को मिला था और कई युवाओं को रोजगार मिला था।