हरियाणा के 27 सरकारी स्कूलों की जर्जर इमारतों में पढ़ाई जारी है, जिससे बच्चों की सुरक्षा खतरे में है। हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए स्कूल शिक्षा विभाग और हिसार प्रशासन से 8 हफ्तों में रिपोर्ट मांगी है। जानें पूरी स्थिति।
हरियाणा के हिसार जिले के 27 से अधिक सरकारी स्कूलों में छात्र जर्जर और खतरनाक इमारतों में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। इन स्कूलों की कई इमारतें लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा पहले ही “असुरक्षित” घोषित की जा चुकी हैं, इसके बावजूद वहां नियमित रूप से कक्षाएं चलाई जा रही हैं। हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने इस गंभीर मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों से 8 सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
छात्रों की जान पर बना खतरा, मानवाधिकार आयोग सख्त
हरियाणा मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा और सदस्य कुलदीप जैन एवं दीप भाटिया ने कहा कि यह केवल असुविधा नहीं बल्कि छात्रों की जान को सीधा खतरा है। उन्होंने इसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 और 21A के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार संधि का उल्लंघन बताया है, जो बच्चों को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अधिकार देता है।
जर्जर स्कूलों की स्थिति बेहद चिंताजनक
हिसार जिले के मंगाली, डोभी, राजली, धांसू, सिसवाला, आर्य नगर, और अन्य गांवों के सरकारी स्कूलों की इमारतें बेहद जर्जर हो चुकी हैं। उदाहरण के तौर पर:
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मंगाली गांव के स्कूल में 480 छात्र खुले बरामदों में पढ़ने को मजबूर हैं क्योंकि 22 कमरे सील कर दिए गए हैं।
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डोभी गांव के स्कूल में सभी 24 कक्षाएं खतरनाक स्थिति में हैं।
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धांसू में पूरा स्कूल भवन असुरक्षित घोषित हो चुका है।
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आर्य नगर गर्ल्स स्कूल में 10 कमरे गिरने की कगार पर हैं।
कई जगहों पर छात्र लैब, स्टाफ रूम और खुले बरामदों में फर्श पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। बरसात के मौसम में सांपों और अन्य जानवरों के हमले का डर भी बना रहता है।
संवैधानिक और अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन
मानवाधिकार आयोग ने स्पष्ट किया कि यह स्थिति न केवल भारतीय संविधान बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और शिक्षा संधियों का उल्लंघन है। बच्चों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता, और यह स्थिति राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारियों को भी कटघरे में खड़ा करती है।
अन्य राज्यों की घटनाओं से चेतावनी
राजस्थान के जैसलमेर और झालावाड़ में हाल ही में स्कूल भवन गिरने से बच्चों की मौत हुई। आयोग ने चेतावनी दी है कि यदि हरियाणा सरकार ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए तो ऐसा ही कोई हादसा यहां भी हो सकता है।
8 हफ्तों में विस्तृत रिपोर्ट की मांग
प्रोटोकॉल, सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने जानकारी दी कि आयोग ने निम्न अधिकारियों को निर्देश दिए हैं:
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प्रिंसिपल सेक्रेटरी, स्कूल शिक्षा विभाग
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महानिदेशक, माध्यमिक शिक्षा
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उपायुक्त, हिसार
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अतिरिक्त उपायुक्त, हिसार
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जिला शिक्षा अधिकारी, हिसार
इन सभी से 8 हफ्तों में रिपोर्ट देने को कहा गया है जिसमें इमारतों की वर्तमान स्थिति, छात्रों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम, और वैकल्पिक व्यवस्था का ब्यौरा मांगा गया है।
शिक्षा नहीं, संकट में है भविष्य
हरियाणा के सरकारी स्कूलों की यह हालत न केवल राज्य की शिक्षा व्यवस्था की विफलता को उजागर करती है, बल्कि बच्चों के जीवन के साथ हो रहे गंभीर खिलवाड़ को भी दर्शाती है। सरकार और प्रशासन को तत्काल प्रभाव से इन स्कूलों की मरम्मत या पुनर्निर्माण कराना चाहिए, ताकि छात्रों को एक सुरक्षित और सम्मानजनक शैक्षणिक वातावरण मिल सके।
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