बढ़ती उम्र में मसल्स मजबूत कैसे करें; जरूर करें ये एक्सरसाइज और डाइट टिप्स

बढ़ती उम्र में मसल्स मजबूत कैसे करें: जैसे-जैसे हम 35–40 की उम्र की ओर बढ़ते हैं, हमारी मांसपेशियाँ प्राकृतिक रूप से कमजोर होने लगती हैं, लेकिन इसे धीमा करना बिल्कुल मुमकिन है। मसल्स का लगभग 60% हिस्सा हमारे शरीर का भार संभालता है—यह हमें उठने, चलने, बैठने, वजन उठाने जैसी दैनिक गतिविधियाँ करने में सहारा देता है। वॉक करना स्वास्थ्य के लिए अवश्य लाभदायक है, लेकिन केवल वॉक से मसल्स को दी गई जिम्मेदारी पूरी नहीं होती। यह नियमित वर्कआउट और पौष्टिक डाइट के बिना मसल्स स्ट्रेंथ बनाए रखने में सक्षम नहीं है।
मसल्स कमजोरी के संकेत जो आप नजरअंदाज न करें
अगर आपको बिना सहारे जमीन से उठने में दिक्कत होती है या कुर्सी पर देर बैठने से कमर में खिंचाव महसूस होता है, तो इसमें मसल्स की कमजोरी जिम्मेदार हो सकती है। जैसे ही आपकी पकड़ कमजोर हो रही हो, या कंधे–हाथों में दर्द होने लगा हो, घुटनों में झनझनाहट महसूस हो, यह संकेत हैं कि मसल्स सपोर्ट घट चुका है। ऐसे संकेतों को मामूली भूलना ठीक नहीं—समय रहते इन्हें पकड़ कर उपाय करना जरूरी है।
मसल्स मजबूत कैसे करें
मसल्स मजबूत कैसे करें: मसल्स स्ट्रेंथ बनाए रखने के लिए केवल वॉक काफी नहीं होती। हफ्ते में 3–4 दिन की एक व्यवस्थित एक्सरसाइज रूटीन बनानी चाहिए, जिसमें 30 मिनट की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग शामिल हो। वेट ट्रेनिंग—जैसे डंबल्स या बारबेल्स—पुश-अप्स, स्क्वाट्स, प्लैंक और बर्पी करना चाहिए। ये एक्सरसाइज पूरे शरीर की मसल्स पर काम करती हैं, विशेषकर कोर, पैर और ऊपरी बॉडी पर, जिससे मजबूती बनी रहती है।
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मसल्स स्ट्रेंथ के लिए क्यों है हेल्दी डाइट जरूरी
एक्सरसाइज के साथ-साथ मसल्स को रीपेयर और ग्रोथ के लिए पोषण भी चाहिए। इसके लिए प्रोटीन—जैसे चना, दाल, पनीर, अंडे और चिकन—और कैल्शियम, विटामिन डी, B12, B3 युक्त भोजन अनिवार्य है। इससे ना सिर्फ मसल्स ठीक से काम करती हैं, बल्कि आपकी हड्डियाँ और ऊर्जा स्तर भी बेहतर रहते हैं। साथ ही, विटामिन व मिनरल्स की कमी से बचने के लिए सप्लीमेंट्स लेने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
मसल्स स्ट्रेंथ से जीवन में क्या बदलाव आते हैं
जब मसल्स मजबूत होती हैं, तो हम दर्द, थकान और चोट जैसी समस्याओं से दूर रहते हैं। अंगुलियों की पकड़ मजबूत होती है, घुटनों व कमर पर दबाव कम होता है। सामान्य गतिविधियाँ—जैसे गाड़ी से उतरना, सामान उठाना, फर्श से बैठ कर उठना—पाने लगती हैं। इसका सकारात्मक असर आपके संपूर्ण जीवनशैली में नजर आता है।
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