करुण नायर ने इस सीरीज के पांच मैचों में से चार में खेलते हुए केवल एक बार ही 50 से अधिक रन बनाए हैं। खास बात यह है कि यह एकमात्र बड़ी पारी भी इस अंतिम टेस्ट की पहली पारी में ही आई है। इससे पहले नायर ने कई मैचों में अच्छी शुरुआत की, लेकिन उसे बड़ी पारी में बदलने में असफल रहे। कप्तान शुभमन गिल ने उन्हें लगातार मौका दिया, लेकिन करुण नायर का प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया।
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अंतिम टेस्ट के दूसरे दिन नायर ने केवल पांच रन ही जोड़े और 57 रन पर आउट हो गए। इस दौरान उन्होंने 109 गेंदों का सामना किया और आठ चौके लगाए। हालांकि उनका आउट होना थोड़ा विवादित रहा क्योंकि उन्होंने डीआरएस लिया, लेकिन बाद में स्पष्ट हुआ कि वे साफ आउट थे। इस प्रदर्शन ने उनके ऊपर दबाव और बढ़ा दिया है।
अब करुण नायर को इस मैच की दूसरी पारी में अपनी काबिलियत साबित करने का आखिरी मौका मिलेगा। यदि वे यहां भी सफल नहीं हुए, तो उनके करियर की राह मुश्किल हो सकती है। बीसीसीआई की सेलेक्शन कमेटी की नजरें इस प्रदर्शन पर टिकी हैं, जो तय करेगी कि नायर को भविष्य में और अवसर मिलेंगे या नहीं।
भारतीय क्रिकेट प्रेमियों की निगाहें अब करुण नायर पर टिकी हैं कि क्या वे अपने करियर को संवार पाएंगे या फिर यह सिलसिला निराशा में बदल जाएगा। आगामी पारी में उनके प्रदर्शन से ही उनकी टीम में वापसी की संभावनाएं स्पष्ट होंगी।