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Vastu Tips: दक्षिण दिशा में किचन होना शुभ है या अशुभ? जानिए वास्तु शास्त्र के अनुसार सच

दक्षिण दिशा में किचन होना शुभ है या अशुभ? जानें वास्तु शास्त्र के अनुसार इसका प्रभाव, सही दिशा और आसान उपाय जिससे आप अपने घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर कर सकें और सुख-शांति ला सकें।

घर की बनावट और वास्तु शास्त्र का मेल जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाने में अहम भूमिका निभाता है। खासकर किचन का स्थान, क्योंकि यह घर में अग्नि तत्व का केंद्र होता है। दक्षिण दिशा में किचन का होना कई लोगों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय होता है, क्योंकि वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना गया है, जो मृत्यु और नकारात्मक ऊर्जा से जुड़ी होती है। आइए विस्तार से समझते हैं कि दक्षिण दिशा में किचन होना शुभ है या अशुभ और अगर आपके घर का किचन दक्षिण में है तो क्या उपाय कर सकते हैं।

दक्षिण दिशा में किचन होना शुभ है या अशुभ, वास्तु दोष और उसके प्रभाव

दक्षिण दिशा में किचन होना: वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा में किचन होना अशुभ माना जाता है। किचन में मौजूद अग्नि और पानी के तत्वों के कारण यदि किचन दक्षिण में हो, तो यह घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकता है। इससे परिवार में कलह, धन हानि, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां और मानसिक तनाव बढ़ सकता है। दक्षिण दिशा को यम की दिशा कहा जाता है, इसलिए यहाँ किचन होने से घर के वातावरण में अशांति की संभावना बनी रहती है। कई बार घर के सदस्य आपस में झगड़ने लगते हैं और आर्थिक तौर पर भी परेशानी आती है।

किचन के लिए वास्तु शास्त्र में सही दिशा

किचन के लिए सबसे उचित दिशा दक्षिण-पूर्व मानी जाती है। इसे अग्नि कोण कहा जाता है, जहां अग्नि तत्व की ऊर्जा बनी रहती है। दक्षिण-पूर्व दिशा में किचन होने से भोजन पकाने के कार्य में ऊर्जा और शुभता बनी रहती है। इसके अलावा पूर्व और उत्तर-पूर्व दिशाएं भी किचन के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं। इस दिशा में किचन होने पर परिवार में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति बनी रहती है।

अगर किचन दक्षिण दिशा में है तो क्या करें?

यदि आपके घर का किचन दक्षिण दिशा में स्थित है, तो घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वास्तु शास्त्र में कुछ आसान और प्रभावी उपाय बताए गए हैं जिन्हें अपनाकर आप घर की नकारात्मक ऊर्जा को कम कर सकते हैं। सबसे पहले, कोशिश करें कि गैस चूल्हा या स्टोव दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर हो। इसके अलावा किचन में हरे रंग का अधिक उपयोग करें, जो शांति और संतुलन का प्रतीक है। किचन को हमेशा साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखें, क्योंकि गंदगी और अव्यवस्था से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। पानी के स्रोत (जैसे सिंक) को किचन के दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम में रखने से भी बचें।

इसके अतिरिक्त, घर में वास्तु दोष निवारण के लिए हवन, यज्ञ और वास्तु मंत्रों का नियमित उच्चारण करें। कुछ लोग किचन में तुलसी का पौधा भी रखते हैं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा आती है। पिंडदान या वास्तु पूजा भी घर के वातावरण को सुधारने में मददगार साबित होती है।

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