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Jitiya Vrat 2025: जानें जितिया व्रत के नियम, क्या करें और क्या नहीं इस पावन उपवास में

Jitiya Vrat 2025: जानिए जितिया व्रत कब है, क्या करें इस दिन, व्रत के नियम क्या हैं और किन बातों से बचना चाहिए। यह व्रत माताएं संतान की दीर्घायु के लिए रखती हैं।

Jitiya Vrat 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल आश्विन मास की कृष्ण अष्टमी को माताएं जितिया व्रत (या जीवित्पुत्रिका व्रत) रखती हैं। यह व्रत विशेष रूप से संतान की दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस बार Jitiya Vrat 2025 14 सितंबर (रविवार) को पड़ रहा है। इस अवसर पर महिलाओं द्वारा कठोर नियमों का पालन करते हुए निर्जला उपवास किया जाता है।

जितिया व्रत 2025 कब है? Jitiya Vrat 2025 Kab Hai

तिथि: रविवार, 14 सितंबर 2025

पारण (व्रत खोलने की तिथि): सोमवार, 15 सितंबर 2025 (नवमी तिथि)

जितिया व्रत के नियम: क्या करें इस दिन| Jitiya Vrat 2025 Niyam

1. नहाय-खाय का पालन करें

व्रत से एक दिन पूर्व महिलाएं नहाय-खाय करती हैं। इस दिन व्रती महिलाएं स्नान करके सात्विक भोजन करती हैं, जिसमें मरुवा (मडुआ) की रोटी और नोनी का साग विशेष रूप से शामिल होता है। इस दिन लहसुन और प्याज जैसे तामसिक पदार्थों से पूरी तरह परहेज करना चाहिए।

2. घर और पूजा स्थल की सफाई

जितिया व्रत से पहले घर और पूजा स्थल की शुद्धता बनाए रखना अनिवार्य होता है। यह व्रत पूरी पवित्रता और अनुशासन के साथ किया जाता है।

3. निर्जला व्रत रखें

इस व्रत का मुख्य नियम है कि यह उपवास जल ग्रहण किए बिना (निर्जला) रखा जाता है। व्रत के दौरान महिलाएं पूरे दिन भूखी-प्यासी रहकर संतान की कुशलता की प्रार्थना करती हैं।

4. संध्या समय पूजा व कथा पाठ

व्रत के दिन शाम को माता जीवित्पुत्रिका देवी की पूजा की जाती है। इसके बाद जितिया व्रत कथा का पाठ करना आवश्यक माना गया है।

5. व्रत का पारण (15 सितंबर)

नवमी तिथि पर व्रत का पारण किया जाता है। पारण के समय महिलाएं फिर से मडुआ की रोटी और साग ग्रहण करती हैं। कुछ क्षेत्रों में झींगा मछली खाने की परंपरा भी है। व्रत समाप्ति के बाद दान-पुण्य करना शुभ होता है।

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जितिया व्रत के दौरान क्या नहीं करना चाहिए

पानी का सेवन न करें: यह निर्जला व्रत है, इसलिए पानी पीने से व्रत खंडित होता है।

तामसिक भोजन से बचें: मांस, मछली, अंडा, लहसुन-प्याज आदि का सेवन वर्जित है।

वाद-विवाद और क्रोध से बचें: व्रत के दौरान महिलाओं को संयमित व्यवहार रखना चाहिए।

किसी का अपमान न करें: किसी को वाणी, मन या कर्म से कष्ट न पहुंचाएं।

अत्यधिक सांसारिक कार्यों में व्यस्त न रहें: इस दिन जितना संभव हो भगवान का स्मरण और पूजा में समय दें।

पवित्रता बनाए रखें: शारीरिक, मानसिक और वातावरण की शुद्धता इस व्रत का मूल है।

जितिया व्रत का महत्व

उत्तर भारत के राज्यों – बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में यह व्रत बड़े श्रद्धा-भाव से मनाया जाता है। यह व्रत माता की ममता और संतान की लंबी उम्र की प्रतीक है। मान्यता है कि जो महिलाएं पूरी निष्ठा और विधि से जितिया व्रत करती हैं, उनके बच्चे दीर्घायु और सुखी जीवन प्राप्त करते हैं।

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