धर्म

Kanha ki Chhathi 2025: इस बार कान्हा की छठी पर दुर्लभ पुष्य योग, जानें पूजन विधि और महत्त्व

कान्हा की छठी 2025 जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, भोग, और इस दिन बन रहे खास योग जो पूजा को और भी फलदायी बनाते हैं।

कान्हा की छठी (Kanha ki Chhathi 2025) का पर्व जन्माष्टमी के छह दिन बाद अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप की पूजा का विशेष अवसर होता है। 2025 में यह पर्व 21 अगस्त को मनाया जाएगा और इस बार यह दिन बेहद खास रहेगा, क्योंकि इस दिन पुष्य नक्षत्र, व्यतीपात और वरीयान जैसे शुभ योगों का संयोग बन रहा है। आइए जानते हैं कि कान्हा की छठी पर पूजा कैसे होती है, इसका धार्मिक महत्व क्या है और कौन-कौन से विशेष योग इस दिन को और पावन बना रहे हैं।

Kanha ki Chhathi 2025 की तिथि और शुभ योग

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी इस वर्ष 21 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। जन्माष्टमी के छह दिन बाद Kanha ki Chhathi 2025 का उत्सव मनाया जाएगा। यह दिन भाद्रपद कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ेगा।

  • पुष्य नक्षत्र: रात 12:08 बजे से

  • पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र: शाम तक

  • सुकर्मा योग: शाम के समय

  • वरीयान योग: छठी पूजा के समय

  • चंद्रमा की स्थिति: कर्क राशि में

  • राहुकाल: दोपहर 2:05 से 3:40 तक

इन सभी संयोगों के चलते यह दिन अत्यंत शुभ और फलदायी माना जा रहा है।

कान्हा की छठी कैसे मनाई जाती है?

कान्हा की छठी का आयोजन खास तौर पर नंदगांव के नंदबाबा मंदिर में बड़े धूमधाम से किया जाता है। इस दिन श्रीकृष्ण को नये वस्त्र पहनाए जाते हैं, उनका विशेष श्रृंगार और झूला सजावट होती है। महिलाएं बधाई गीत गाती हैं और मंदिरों में विशेष भजन-कीर्तन होते हैं।

षष्ठी देवी की पूजा का विशेष महत्व

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जब किसी घर में शिशु का जन्म होता है, तो उसके छहवें दिन षष्ठी देवी की पूजा की जाती है। यह परंपरा श्रीकृष्ण जन्म के बाद भी निभाई गई थी। इसी दिन माता पूतना ने बालकृष्ण को स्तनपान कराने का प्रयास किया था। इस दिन को बालकृष्ण की रक्षा और समृद्ध जीवन के लिए पूजा का दिन माना जाता है।

क्या होता है खास कान्हा की छठी के भोग में?

पूजन के बाद भगवान श्रीकृष्ण को कढ़ी-चावल का भोग लगाया जाता है। यह भोग विशेष रूप से शाम को तैयार किया जाता है और माना जाता है कि इससे भगवान बालरूप में प्रसन्न होते हैं। कई जगहों पर पूजन के बाद पंचामृत, माखन मिश्री, और फल भी अर्पित किए जाते हैं।

Kanha ki Chhathi 2025: यह दिन क्यों है खास?

इस वर्ष Kanha ki Chhathi 2025 पर तीन अत्यंत शुभ योग पुष्य नक्षत्र, वरीयान योग और व्यतीपात योग का संयोग बन रहा है, जो इसे और भी फलदायी बनाता है। ज्योतिष के अनुसार, इन योगों में की गई पूजा और भोग से भक्तों को संतान सुख, जीवन में समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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