काशी महादेव: कैलाश पर्वत छोड़ माता पार्वती के साथ काशी को महादेव ने क्यों बनाया अपना धाम? जानें पौराणिक कथा
कैलाश पर्वत छोड़ भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ काशी को क्यों बनाया अपना धाम? जानें काशी विश्वनाथ मंदिर और मोक्ष नगरी की पौराणिक कथा, महादेव की आस्था और भक्तों के लिए महत्व।
काशी (वाराणसी) भारत के सबसे पवित्र और प्राचीन शहरों में से एक है, जिसे मोक्ष का द्वार भी कहा जाता है। यह शहर भगवान शिव के लिए अत्यंत प्रिय माना जाता है। यहाँ काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में महादेव माता पार्वती के साथ विराजमान हैं। इसे आदि-ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव ने पूरी सृष्टि को छोड़कर काशी में ही अपना निवास क्यों बनाया? इसके पीछे की पौराणिक कथा बेहद रोचक और ज्ञानवर्धक है।
माता पार्वती की इच्छा और कैलाश पर्वत
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह करने के बाद उन्हें कैलाश पर्वत पर ले जाकर कुछ समय तक वहीं निवास किया। लेकिन माता पार्वती को लगता था कि विवाह के बाद भी वे अपने पिता के घर में ही हैं। उन्होंने भगवान शिव से कहा कि हर स्त्री विवाह के बाद अपने पति के घर जाती है, लेकिन उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वे अभी भी अपने पिता के घर पर ही हैं।
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महादेव ने काशी को बनाया अपना घर
माता पार्वती की बात सुनकर भगवान शिव ने उन्हें धरती पर ले जाने का निर्णय लिया। गंगा तट पर स्थित काशी नगरी को उन्होंने अपना घर बना लिया। काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव विश्वनाथ रूप में विराजमान हैं। यहाँ श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त यहाँ सच्चे मन से दर्शन करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में शांति एवं समृद्धि आती है।
काशी में मोक्ष का मार्ग
काशी को मोक्ष नगरी कहा जाता है। मान्यता है कि जिनकी मृत्यु काशी में होती है, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां भगवान शिव भक्तों के सभी संकटों को अपने कंधों पर उठा लेते हैं और उन्हें कठिनाइयों से मुक्ति प्रदान करते हैं। इसलिए काशी का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यधिक है।
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