पंजाब

शहीद भगत सिंह का परिवार पुराने संसद भवन की विदाई पर भावुक है, जानें क्यों

शहीद भगत सिंह का परिवार

देश के नए संसद भवन का निर्माण पूरा हो गया है, और पुराने संसद भवन का विदाई हो गया है। पुराने संसद भवन को राष्ट्रिय धरोहर के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। संसद भवन में बम फोड़ने वाले भगत सिंह के परिवार के सदस्यों के अलावा फरीदाबाद से कई लोगों के संबंध इस भवन से हैं।

शहीद भगत सिंह और पुराना संसद भवन दोषी ठहराए गए, क्योंकि भगत सिंह ने यहीं बम फोड़ा था।

फरीदाबाद में शशि ठाकुर: नई संसद भवन, जो लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत है, बनकर तैयार है। इसमें मंगलवार से देश का भविष्य निर्धारित होगा। वहीं, पुराने संसद भवन, जो कई ऐतिहासिक पलों का गवाह रह चुका है, की विदाई का समय आ गया है। इसके बावजूद, पुराना संसद भवन राष्ट्रिय धरोहर की तरह रहेगा। यही नहीं, सरदार भगत सिंह, स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक और अंग्रेजों के बहरे कानों को खोलने के लिए इसी संसद भवन में बम फोड़ने वाले सरदार भगत सिंह के परिवार के सदस्यों की भी यादें और भावनाएं इसी संसद भवन से जुड़ी हैं। इस बदलाव से वे भावुक हैं। इसके अलावा, फरीदाबाद में बहुत से लोग हैं जो संसद भवन में कई बार गए हैं और उनकी यादें इससे जुड़ी हैं।

 

इस संसद भवन का देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले शहीद भगत सिंह के जीवन से बहुत चर्चा हुई है। भगत सिंह का मानना था कि जो सरकार जनता की आवाज नहीं सुन सकती, वह बहरी हो गई है और सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है।

लगाई गई थी बड़ी प्रतिमा शहीद भगत सिंह ने सरकार तक जनता की आवाज पहुंचने के लिए संसद भवन में धमाका किया था। 2007 में भगत सिंह के परिवार ने भारत सरकार से भगत सिंह को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा देने की मांग की थी। उन्हें सरकार ने शहीद स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिया। संसद भवन में भी शहीद भगत सिंह की बड़ी प्रतिमा लगाई गई।

शहीदों की स्मृति जीवित है पुराना संसद भवन: भगत सिंह का नाम लिया जाएगा तो इस ऐतिहासिक संसद का भी नाम आता है। शहीद भगत सिंह के परपोते यादवेंद्र सिंह, जो फिलहाल फरीदाबाद में रहते हैं, ने बताया कि उनके परिवार की कई यादें पुराने संसद भवन से जुड़ी हुई हैं। उन्हें आज भी ये यादें भावविभोर करती हैं। संसद ने आजादी के लिए अपनी जान देने वाले वीर शहीदों की भी यादें रखी हैं।

पुराना संसद भवन इस देश का कई ऐतिहासिक इतिहास है। यहाँ से कई ऐतिहासिक राजनीतिक बदलाव की कहानियां लिखी गई हैं। नया संसद भवन बनने के बाद, देश की सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह सभी वर्गों की राय सुनकर लोकतंत्र की गरिमा को बचाएगा।

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