इन जगहों पर सावन की पहली एकादशी पर जलाएं दिए, बनाएं अपनी किस्मत

सावन की पहली एकादशी 21 जुलाई को है। जानिए किन स्थानों पर दीपक जलाने से बनती है फूटी किस्मत और कैसे सावन माह में भगवान शिव व विष्णु की पूजा से मिलती है समृद्धि।
सावन की पहली एकादशी, जिसे कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है, इस साल 21 जुलाई को पड़ रही है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और सावन के दौरान भगवान शिव की पूजा के साथ विशेष महत्व रखता है। इस पावन तिथि पर पूजा, व्रत और दीपक जलाने के कई धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ माने गए हैं। कहा जाता है कि इस दिन सही जगह दीपक जलाने से न केवल घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि यह भाग्य को भी सुधारता है।
सावन माह भगवान शिव को बेहद प्रिय माना जाता है, जबकि कामिका एकादशी भगवान विष्णु की उपासना का दिन है। इस दिन दोनों देवताओं की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में खुशहाली आती है। खासतौर पर कुछ स्थानों पर दीपक जलाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, जो शुभता और समृद्धि लाने वाला माना जाता है।
घर के चौखट या मुख्य द्वार पर दीपक जलाना अत्यंत शुभ होता है। इस स्थान पर सुबह और शाम को दीपक जलाने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और घर की समृद्धि बढ़ती है। इसके साथ ही यह शुभ संकेत माना जाता है कि आपका घर हमेशा सुख-समृद्धि से भरा रहे।
पीपल का पेड़ हिन्दू धर्म में देवताओं का वास माना गया है। कामिका एकादशी के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी लाभकारी है। यह कर्म जातक के भाग्य को सुधारने में सहायक होता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।
बेल का पेड़ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। सावन माह में बेल के पेड़ के नीचे दीया जलाने से शिवजी की कृपा मिलती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। यह कार्य विशेष पुण्य का काम माना जाता है जो मनुष्य के संकट दूर करता है।
तुलसी के पौधे के नीचे दीपक जलाना भी अत्यंत फलदायी होता है, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाती हैं। कामिका एकादशी के दिन गाय के घी से बना दीपक तुलसी के पौधे के नीचे जलाने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इससे जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली आती है।
इस सावन की पहली एकादशी पर इन उपायों का पालन कर आप अपने बिगड़े हुए भाग्य को सुधार सकते हैं और घर में सुख-शांति व समृद्धि ला सकते हैं। धार्मिक ग्रंथों और पुरातन परंपराओं के अनुसार, इस दिन किए गए छोटे-छोटे कर्म बड़े फल देते हैं।
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