मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव का बड़ा फैसला: वनों में स्थित आस्था स्थलों का होगा विकास
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने वनों में स्थित आस्था स्थलों के विकास, नदियों के किनारों पर पौधारोपण और मगरमच्छ-घड़ियाल संरक्षण के लिए बड़े फैसले लिए हैं। वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में बदलने पर भी चर्चा हुई।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेश के वनांचल, नदियों और नगर वनों के संरक्षण एवं विकास को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उन्होंने वन विभाग को वन ग्रामों के विकास, पौधारोपण और मगरमच्छ-घड़ियाल की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने वनांचल में स्थित आस्था स्थलों को “देवलोक वन” के रूप में विकसित करने की योजना की भी बात कही।
आस्था स्थल और जैवविविधता का संरक्षण- मुख्यमंत्री मोहन यादव
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश के वनांचल में कई ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें स्थानीय समुदाय पारंपरिक सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं के कारण संरक्षित रखते हैं। ये स्थल केवल आध्यात्मिक महत्व नहीं रखते, बल्कि जैवविविधता संरक्षण, पारिस्थितिकी संतुलन, और सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। इस संदर्भ में, उन्होंने इन क्षेत्रों को संरक्षित करते हुए उनके विकास की जरूरत पर जोर दिया।
नदियों के किनारों पर पौधारोपण को बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने प्रदेश की प्रमुख नदियों के दोनों ओर 5 किलोमीटर तक के क्षेत्र में पौधारोपण गतिविधियों को बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नदियों के किनारों पर हो रहे अतिक्रमण को हटाने में स्थानीय समुदाय का सहयोग लिया जाएगा। साथ ही, आय संवर्धन के लिए औषधीय पौधों सहित उपयोगी पौधों के रोपण को प्राथमिकता दी जाएगी।
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मगरमच्छ और घड़ियाल के संरक्षण पर विशेष ध्यान
डॉ. मोहन यादव ने नदियों और जल संरचनाओं के स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए मगरमच्छ, घड़ियाल और कछुओं की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जहां ये जीव अधिक संख्या में पाए जाते हैं, वहां से इन्हें शिफ्ट कर अन्य जल संरचनाओं में छोड़ा जाए। इस प्रक्रिया की शुरुआत नर्मदा और तवा नदियों से की जाएगी।
वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में बदलने की पहल
बैठक में वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तित करने के प्रस्ताव पर चर्चा की गई। इसके अलावा, लघु वन उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि, तेंदूपत्ता बोनस वितरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी विचार-विमर्श हुआ। इस बैठक में अपर मुख्य सचिव वन अशोक वर्णवाल, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री वी.एन. अम्बाडे सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
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