Mahashivratri 2024: ये कार्यक्रम और कई महत्वपूर्ण निर्णय उज्जैन में महाशिवरात्रि पर महाकालेश्वर मंदिर में होंगे
Mahashivratri 2024
Ujjain Mahakaleshwar Temple: Mahashivratri 2024 उत्सव के दौरान, सुबह नौ बजे से एक बजे तक भगवान महाकालेश्वर का विशेष पूजन और वस्त्र धारण करने का क्रम चलेगा।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में Mahashivratri 2024 पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। 29 फरवरी से 9 मार्च तक चलने वाले उत्सव के बारे में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। बिजली, सुरक्षा, स्वास्थ्य, पार्किंग और अन्य सुविधाओं पर इस बार महाशिवरात्रि पर्व पर विशेष ध्यान दिया गया है।
महाशिवरात्रि उत्सव के दौरान, सुबह नौ बजे से एक बजे तक भगवान महाकालेश्वर का विशेष पूजन और वस्त्र धारण करने का क्रम चलेगा। इसके बाद, हर दिन विशेष श्रृंगार देखने को मिलेगा। उज्जैन के कलेक्टर और महाकालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष नीरज कुमार सिंह ने बताया कि इस बार पुराने अनुभवों को ध्यान में रखते हुए और भी बेहतर इंतजाम करने का लक्ष्य रखा गया है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त बल लगाए जाएंगे। इसके अलावा पार्किंग और स्वास्थ्य के विशेष प्रबंध भी किए गए हैं।
पिछले साल जैसी ही रखी जाएगी दर्शन व्यवस्था
Mahashivratri 2024: कलेक्टर ने कहा कि पिछले वर्ष की तरह ही दर्शन व्यवस्था रहेगी। उज्जैन शहर में चारों ओर से आने वाले मार्गो के कुछ चयनित स्थानों पर अस्थाई रूप से वाहन पार्किंग की व्यवस्था की जानी है. इसमें बैठक में आने वाले श्रद्धालुओं का प्रवेश तथा निर्गमन, भस्मार्ती में आने वाले श्रद्धालुओं का प्रवेश, पुजारी, पुरोहित, साधु-संतों और मीडिया कर्मियों का प्रवेश शामिल है।
मंदिर में प्रवेश के लिए इस द्वार को किया जाना है निर्धारित
महाकालेश्वर मंदिर के निकट दो दर्जन से अधिक स्थान चुने गए हैं। नृसिंह घाट तिराहे पर स्थित गंगौत्री गार्डन से मंदिर में प्रवेश करने के लिए एक द्वार निर्धारित किया जाना है, जो महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं के सरल-सुलभ दर्शन का प्रस्ताव है। उस द्वार से सभी पर्यटक चारधाम मंदिर में प्रवेश करेंगे. वे पानी की टंकी से त्रिवेणी संग्रहालय, नंदी मंदिर, महाकाल महाराज और मानसरोवर भवन में प्रवेश करेंगे।
बाद में आप फेसेलिटी सेंटर-1, नवीन टनल, कार्तिक मंदिर और गणेश मंदिर से बाबा महाकाल को देख सकेंगे। दर्शन उपरांत द्वार नंबर 10 और आपातकालीन निकास द्वार, बड़ा गणेश मंदिर से दाहिनी ओर पुराने अन्नक्षेत्र से हरसिद्ध पाल की ओर जाएंगे।
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