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Mahashivratri 2025: शिवलिंग पर जलाभिषेक कैसे करना चाहिए? सही पूजा विधि सही 

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि के साथ हर सोमवार भगवान शिव का जलाभिषेक होता है। यही कारण है कि भक्तों को शिवलिंग पर जलाभिषेक कैसे करना चाहिए?

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि का पर्व हर साल फाल्गुन की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह इसी तिथि पर हुआ था। इस दिन शाम को खास पूजा की जाती है। माना जाता है कि रात्रि चार पहर भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है। ऐसे में आप इस मौके पर भी भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा, व्रत और मंत्र जप करके उनका आशीर्वाद पा सकते हैं। मान्यता है कि महादेव अन्य देवों से अधिक दयालु हैं, उन्हें महज बेलपत्र चढ़ाकर भी प्रसन्न कर सकते हैं।

जलाभिषेक क्यों होता है?

पौराणिक कथा की मानें तो जब समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष निकला तो उसकी ताप से संसार में सभी प्राणी को जलन होने लगी। उस विष को खाने के लिए कोई देवता या नागरिक नहीं आया। तब भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में रखा और दुनिया को बचाया। लेकिन जब विष का ताप भगवान शिव पर भी पड़ा, तो देवताओं ने जल, दूध, भांग-धतुरा और अन्य रसों से उन्हें नहलाया। जिससे भगवान शिव हलाहल विष को सह सकें। इसके बाद भगवान शिव को जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक आदि करने की परंपरा शुरू हुई। आइए जानते हैं कि सही पूजा विधि क्या है..।

क्या है पूजा की प्रक्रिया?

सुबह स्नान करने से पहले सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद भोलेनाथ को दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करें। जलाभिषेक करते समय ध्यान दें कि आपका मुंह दक्षिण दिशा में होना चाहिए। फिर भस्म को शिवलिंग पर डालकर बेलपत्र, मोली, साबुत अक्षत, फल और पान-सुपारी अर्पित करें। फिर महादेव की आरती करें और शिवलिंग के सामने शिव गायत्री मंत्र “ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।” या फिर श‍िव नामावली मंत्र- श्री शिवाय नम:” का जप करें।

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