Narak Chaturdashi 2023
Narak Chaturdashi 2023: 12 नवंबर 2023 को नरक चतुर्दशी है। यह छोटी दिवाली भी कहलाता है, लेकिन आप जानते हैं क्यों नरक चतुर्दशी दिवाली से पहले मनाया जाता है? इसके महत्व को समझें
दीपावली के ठीक एक दिन पहले छोटी दीपावली मनाई जाती है। जो नरक चतुर्दशी या रूप चौदस कहलाता है। इस साल पंचांग भेद के कारण दिवाली और नरक चतुर्दशी एक साथ हैं। 12 नवंबर 2023 को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी।
इस दिन सुबह स्त्रियां अभ्यंग स्नान करके अपना रूप निखारती हैं। वहीं शाम को यमराज के निमित्त दीपक जलाने का भी प्रचलन है। आइए जानते हैं कि नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है, इसका क्या महत्व है और इसकी कथा क्या है।
नरक चतुर्दशी 2023 मुहूर्त (Narak Chaturdashi 2023 Muhurat)
अभ्यंग स्नान मुहूर्त – प्रात: 05.28 – सुबह 06:41 (12 नवंबर 2023)
दीपदान समय – शाम 05.29 – रात 08.07 (दीपदान प्रदोष काल में किया जाता है)
नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है ? (Narak Chaturdashi Katha)
नरक चतुर्दशी का पर्व नरकासुर और श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कहानियों के अनुसार, प्रागज्योतिषपुर का असुर राजा नरकासुर ने अपनी शक्ति से देवताओं और ऋषि-मुनियों के साथ 16 हजार 120 सुंदर कन्याओं को भी बंधक बनाया था। नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था, इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक मास की चतुर्दशी को अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से उसे मार डाला और 16 हजार एक सौ कन्याओं को उसकी कैद से बचाया।
ऐसे बनी श्रीकृष्ण की 16 हजार पत्नियां
ये कन्याएं असुर की जेल में थीं और समाज से बाहर होने के डर से कृष्ण को अपना सब कुछ मानने लगीं। श्रीकृष्ण ने भी इन कन्याओं से शादी की। इस दिन को नरकासुर पर श्रीकृष्ण की जीत के रूप में मनाया जाता है क्योंकि देवगण और सभी लोग नरकासुर से छुटकारा पाने से बहुत खुश हुए।
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नरक चतुर्दशी पर तेल-उबटन लगाने की परंपरा
मान्यता है कि Narak Chaturdashi 2023 पर अभ्यंग स्नान करने से स्वर्ग और सौंदर्य मिलता है और नरक से छुटकारा मिलता है। रूप चतुर्दशी के दिन सुबह उठकर सरसों के तेल या तिल की मालिश करें। औषधीय उबटन लगाना चाहिए। अपामार्ग यानी चिरचिटा के पत्ते डालकर नहाएं. फिर भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण का दर्शन करें; ऐसा करने से पाप दूर होते हैं और आपकी सुंदरता बढ़ती है। साथ ही दीर्घायु मिलती है।
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