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नेस्ले, पेप्सीको, कोका-कोला ने चुना पंजाब- मान सरकार की नीतियों पर बढ़ा भरोसा

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब आज औद्योगिक पुनर्जागरण के युग में प्रवेश कर चुका है। जिस राज्य को कभी कृषि संकट और बेरोज़गारी की चुनौती झेलनी पड़ी, वही अब वैश्विक निवेशकों का सबसे विश्वसनीय ठिकाना बन गया है।

मान सरकार की पारदर्शी नीतियों, ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस सुधारों और तेज़ी से फैसले लेने की प्रणाली ने पंजाब को भारत का सबसे आकर्षक निवेश गंतव्य बना दिया है। यह कोई दावा नहीं, बल्कि आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं — 2022 से अब तक राज्य में ₹1.23 लाख करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिनमें प्रमुख योगदान फूड प्रोसेसिंग सेक्टर का है।

इस औद्योगिक उछाल के केंद्र में हैं वैश्विक दिग्गज — नेस्ले इंडिया, पेप्सीको इंडिया और कोका-कोला इंडिया, जिन्होंने पंजाब की नीतियों पर भरोसा जताते हुए करोड़ों का निवेश किया है। इन तीनों कंपनियों के निवेश ने न सिर्फ पंजाब की औद्योगिक छवि को नई पहचान दी है, बल्कि हज़ारों युवाओं और किसानों के जीवन में भी परिवर्तन लाया है। यह वही पंजाब है जो कभी केवल कृषि पर निर्भर था, लेकिन अब उच्च तकनीक और आधुनिक उद्योगों का गढ़ बन चुका है।

नेस्ले इंडिया ने पंजाब के मोगा जिले को विश्वस्तरीय फूड प्रोसेसिंग केंद्र में बदलने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। कंपनी ने 2024 में ₹583 करोड़ के निवेश से अपने प्रमुख संयंत्र के विस्तार की घोषणा की, जो दूध प्रसंस्करण और खाद्य उत्पादन क्षमता को कई गुना बढ़ाएगा। इस परियोजना को Invest Punjab के माध्यम से तेज़ी से मंज़ूरी दी गई और सरकार ने पूंजीगत प्रोत्साहन, बिजली रियायतें और बुनियादी ढाँचे में सहयोग प्रदान किया। यह संयंत्र अत्याधुनिक स्वचालन (automation) तकनीक से सुसज्जित होगा और राज्य में सैकड़ों प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करेगा। विशेष बात यह है कि इस संयंत्र का 90% दूध पंजाब के स्थानीय किसानों और सहकारी समितियों से लिया जाता है — जिससे ग्रामीण आय स्थिर हुई है और दूध मूल्य श्रृंखला में पंजाब की भूमिका मज़बूत हुई है।

नेस्ले का यह निवेश केवल एक औद्योगिक परियोजना नहीं बल्कि ग्रामीण विकास का मॉडल है। इससे डेयरी किसानों को आधुनिक तकनीकों, गुणवत्ता सुधार प्रशिक्षण और बेहतर बाजार दरों तक पहुँच मिली है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे “किसानों और उद्योग का साझीदार मॉडल” बताया है। नेस्ले अब पंजाब में अपने Maggi, Nescafé और डेयरी प्रोडक्ट्स की नई रेंज बनाने की तैयारी में है, जिससे पंजाब भारत के फूड प्रोसेसिंग मानचित्र पर और भी प्रमुख स्थान हासिल करेगा।

उधर कोका-कोला इंडिया ने लुधियाना में ₹275 करोड़ की लागत से एक अत्याधुनिक पेय निर्माण संयंत्र स्थापित किया है, जो न केवल उत्पादन क्षमता बढ़ाएगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण का नया मानदंड भी स्थापित करेगा। यह प्लांट “ग्रीन ग्रोथ” की अवधारणा पर आधारित है, जहाँ जल पुनर्चक्रण, सोलर ऊर्जा और वेस्ट रीसाइक्लिंग जैसी तकनीकें अपनाई जा रही हैं। पंजाब सरकार ने इस परियोजना को रिकॉर्ड समय में मंज़ूरी दी और बिजली दरों में छूट, भूमि आवंटन और कर प्रोत्साहन जैसे कदम उठाए। इसने दर्जनों प्रत्यक्ष नौकरियाँ और सैकड़ों अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न किए हैं, जबकि लुधियाना का औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र अब और अधिक मज़बूत हुआ है।

पेप्सीको इंडिया ने भी संगरूर जिले में अपने फूड प्रोसेसिंग संयंत्र के विस्तार के लिए ₹30 करोड़ का निवेश किया है। यह संयंत्र आलू प्रसंस्करण और स्नैक निर्माण के क्षेत्र में कार्यरत है, और पंजाब के हज़ारों किसानों से अनुबंध आधारित खेती के माध्यम से कच्चा माल प्राप्त करता है। पेप्सीको ने स्थानीय किसानों को टिकाऊ कृषि तकनीक सिखाने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिससे उत्पादन क्षमता में वृद्धि और जल संरक्षण में सुधार हुआ है। इस परियोजना के लिए सरकार ने पर्यावरण-अनुकूल पैकेजिंग और ऊर्जा दक्षता पर विशेष प्रोत्साहन दिए। परिणामस्वरूप, संगरूर न केवल औद्योगिक दृष्टि से समृद्ध हुआ है, बल्कि कृषि और उद्योग का संतुलित मॉडल भी प्रस्तुत कर रहा है।

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भगवंत मान सरकार की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उसने विकास को पर्यावरणीय संतुलन से जोड़ा है। राज्य की नई औद्योगिक नीति के अनुसार, सभी नई परियोजनाओं में Zero Liquid Discharge, Rainwater Harvesting और Waste Recycling को अनिवार्य बनाया गया है। इससे यह सुनिश्चित हुआ है कि औद्योगिक वृद्धि के साथ पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी भी निभाई जाए। यही कारण है कि पंजाब अब Green Industrial State के रूप में जाना जाने लगा है — जहाँ विकास, पर्यावरण और रोजगार तीनों साथ चल रहे हैं।

आज नेस्ले, पेप्सीको और कोका-कोला जैसे दिग्गजों के निवेश से पंजाब में ₹1,000 करोड़ से अधिक का पूंजी निवेश हुआ है और हज़ारों युवाओं को नए अवसर मिले हैं। सरकारी आँकड़ों के अनुसार, 2022 से अब तक राज्य में ₹70,000 करोड़ के निवेश प्रस्तावों से 4.5 लाख से अधिक नौकरियाँ उत्पन्न हुई हैं। विदेशी निवेश में भी भारी वृद्धि दर्ज की गई है — वर्ष 2025 में अकेले ₹8,000 करोड़ का एफडीआई आया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हाल ही में कहा, “हम पंजाब को सिर्फ निवेश का गंतव्य नहीं, बल्कि अवसरों की धरती बनाना चाहते हैं, जहाँ हर निवेश समाज के हर वर्ग तक लाभ पहुँचाए।”

पंजाब की यह कहानी केवल आर्थिक सुधार की नहीं, बल्कि एक नई सोच की कहानी है। नेस्ले की डेयरी क्रांति, कोका-कोला की हरित पहल और पेप्सीको की टिकाऊ खेती का मॉडल इस बात का प्रमाण है कि मान सरकार के नेतृत्व में पंजाब आज विश्व निवेश मानचित्र पर चमक रहा है। पारदर्शिता, स्थिरता और साझेदारी पर आधारित यह मॉडल भारत के बाकी राज्यों के लिए मिसाल बन चुका है। पंजाब अब केवल ‘कृषि राज्य’ नहीं रहा — यह एक उभरता हुआ ‘औद्योगिक पावरहाउस’ है, जहाँ हर फैक्ट्री एक नई उम्मीद और हर पंजाबी एक नए आत्मविश्वास का प्रतीक है।

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