12 ज्योतिर्लिंगों में से 1 ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ का मंदिर है यह मंदिर पिछले कई हजार वर्षों से वाराणसी में ही स्थित है ऐसी मान्यता है कि एक बार मंदिर के दर्शन करने और गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है मान्यता यह भी है कि पृथ्वी के निर्माण के दौरान सूर्य की पहली किरण काशी यानी वाराणसी पर पड़ी थी काशी विश्वनाथ का मंदिर अब गंगा से सीधे जुड़ गया है श्रद्धालु जलासेन घाट ,मणि कर्णिका और ललिता घाट पर स्नान करके सीधे बाबा के मंदिर में प्रवेश करके उनके दर्शन कर सकेंगे
आइए हम आपको बताते हैं आपको शिव धाम में अब क्या नया देखने को मिलेगा।
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वाराणसी बाबा के धाम में 3 यात्री सुविधा केंद्रों में श्रद्धालुओं को अब अपना सामान सुरक्षित रखने और बैठने उठने तथा आराम करने की पूरी सुविधा मिलेगी काशी में कलाकारों के लिए एक सांस्कृतिक केंद्र की सौगात भी मिलेगी दो मंजिला इमारत सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए ही बने हैं।
विश्वनाथ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए योग और ध्यान केंद्र के रूप में वैदिक केंद्र को भी स्थापित किया गया है बाबा के धाम में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए स्प्रिचुअल बुक सेंटर धार्मिक पुस्तकों का एक नया केंद्र भी बना हुआ है वहीं बाबा की श्रद्धालुओं के लिए बाबा की एक भोजशाला भी बनाई गई है यहां एक एक साथ 150 श्रद्धालु बैठकर बाबा विश्वनाथ का प्रसाद ग्रहण करते हैं।
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सनातन धर्म में यह मान्यता है कि व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष काशी में जाकर ही मिलता है इसलिए काशी विश्वनाथ धाम में मुमुक्षु भवन भी बनवाए गए हैं इससे लगभग सौ कदम की दूरी पर ही महाशमशान मणिकर्णिका है।
विश्वनाथ धाम में श्रद्धालुओं के प्रवेश के लिए चार विशालकाय द्वार भी बनाए गए जहां पहले सिर्फ सकरी गलियां हुआ करती थी।
काशी को आनंद कानन भी कहा जाता है इसे देखते हुए काशी में हरियाली की पर्याप्त व्यवस्था की गई है महादेव की प्रिय रुद्राक्ष बेल पारिजात के पौधों के साथ-साथ अशोक के पेड़ भी तथा तरह-तरह की फूल स्थान में लगाए जा रहे हैं।
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