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SYL मुद्दे पर एक बार फिर आमने-सामने होंगे पंजाब और हरियाणा, आज दिल्ली में अहम बैठक

नई दिल्ली में SYL नहर विवाद पर पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की अध्यक्षता में अहम बैठक आज होगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह बैठक निर्णायक मानी जा रही है।

देश के दो प्रमुख राज्यों पंजाब और हरियाणा के बीच दशकों से चले आ रहे सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर विवाद को लेकर आज एक बार फिर मंथन होगा। यह बैठक नई दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल की अध्यक्षता में आयोजित की जाएगी। इस महत्वपूर्ण बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी दोनों ही मौजूद रहेंगे।

पिछली बैठक में दिखा था सकारात्मक रुख, आज लिए जा सकते हैं निर्णायक फैसले

गौरतलब है कि इससे पहले 9 जुलाई को भी इसी मुद्दे पर बैठक हुई थी, जिसमें दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्री के बीच बातचीत सकारात्मक रही थी। उस बैठक के बाद ही यह निर्णय लिया गया था कि मामले को अंतिम निष्कर्ष तक पहुँचाने के लिए एक और बैठक बुलाई जाएगी।

अब जबकि इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही हरियाणा के पक्ष में फैसला सुना चुका है, इसलिए आज की बैठक को निर्णायक माना जा रहा है। बैठक के बाद केंद्र सरकार दोनों राज्यों से उनके अंतिम रुख के बारे में जानकारी लेगी, जिसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की ओर से जवाब दाखिल किया जाएगा।

हरियाणा के मुख्यमंत्री की दिल्ली में सांसदों के साथ अलग बैठक भी तय

मुख्यमंत्री नायब सैनी SYL मुद्दे पर होने वाली बैठक से पहले दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में प्रदेश के सांसदों के साथ दोपहर 12 बजे बैठक करेंगे। इस बैठक में प्रदेश में चल रही केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की जाएगी, साथ ही संगठनात्मक गतिविधियों पर भी चर्चा होगी।

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SYL विवाद: दशकों पुराना जल संघर्ष

SYL नहर विवाद भारत के सबसे लंबे समय से चल रहे जल विवादों में से एक है, जिसका सीधा संबंध हरियाणा और पंजाब राज्यों की जल उपलब्धता और कृषि पर पड़ता है। हरियाणा की लंबे समय से यह मांग रही है कि उसे उसके हिस्से का पानी मिले, जबकि पंजाब ने भौगोलिक और जल स्रोतों में कमी का हवाला देते हुए इसका विरोध किया है।

बैठक से पहले बढ़ा राजनीतिक पारा

बैठक से पहले दोनों राज्यों के राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि आज की बैठक में कोई ठोस सहमति बनती है तो यह ऐतिहासिक फैसला साबित हो सकता है। वहीं अगर एक बार फिर कोई निष्कर्ष नहीं निकलता, तो मामला और लंबा खिंच सकता है।

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