Shradh Purnima 2025: पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण, तो पितरों का श्राद्ध कब होगा? जानें ज्योतिर्विद की राय
Shradh Purnima 2025 Chandra Grahan Time: 7 सितंबर 2025 को चंद्र ग्रहण और पितृपक्ष एक साथ पड़ने पर क्या पूर्णिमा श्राद्ध होगा? जानिए सूतक काल, श्राद्ध तिथि और ज्योतिर्विद की सलाह के अनुसार सही समय व नियम।
Shradh Purnima 2025 Chandra Grahan Date and Time: साल 2025 का आखिरी चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को पड़ने जा रहा है, जो कि भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि को लगेगा। भारत में यह चंद्र ग्रहण दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य होगा और यह धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इस बार चंद्र ग्रहण के साथ-साथ पितृपक्ष का भी शुभारंभ हो रहा है, जिससे यह प्रश्न उठता है कि क्या पूर्णिमा के दिन श्राद्ध किया जा सकेगा, या चंद्र ग्रहण के कारण उसमें कोई परिवर्तन होगा?
7 सितंबर 2025 को चंद्र ग्रहण का समय (Chandra Grahan 7 September 2025 Timing)
ग्रहण प्रारंभ: रात्रि 9:45 बजे
ग्रहण का मध्य काल: रात्रि 11:41 बजे
ग्रहण समाप्त (मोक्ष काल): मध्यरात्रि 1:27 बजे
सूतक काल प्रारंभ: दोपहर 12:57 बजे (ग्रहण से 9 घंटे पहले)
यह एक खग्रास चंद्र ग्रहण होगा और प्रयागराज सहित भारत के अधिकांश भागों में दिखाई देगा।
पितृपक्ष और चंद्र ग्रहण का संयोग
इस बार पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025, रविवार से हो रही है, जो कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। यही दिन पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध का पहला दिन होता है, जिसे महालय भी कहा जाता है।
ज्योतिर्विद पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार, चंद्र ग्रहण और पितृपक्ष का यह संयोग 19 वर्षों के बाद आया है। हालांकि चंद्र ग्रहण के कारण सूतक काल दिन में 12:57 बजे से शुरू हो जाएगा, लेकिन उससे पहले श्राद्ध, तर्पण और दान-पुण्य जैसे धार्मिक कार्य पूरे किए जा सकते हैं।
क्या पूर्णिमा पर श्राद्ध किया जा सकता है?-Shradh Purnima 2025
ज्योतिर्विद के अनुसार,Shradh Purnima 2025 उसी दिन किया जाएगा, जिस दिन पूर्णिमा तिथि है – यानी 7 सितंबर को। चूंकि ग्रहण का प्रभाव रात से शुरू होता है और सूतक दोपहर से, इसलिए दोपहर 12:57 बजे से पहले तर्पण और श्राद्ध कर्म सम्पन्न करना शास्त्र सम्मत है।
इसलिए लोगों को इस विषय में भ्रमित नहीं होना चाहिए। Shradh Purnima 2025 7 सितंबर को ही करना उचित रहेगा।
पितृपक्ष में ग्रहण और दान-पुण्य
पंडित दिवाकर त्रिपाठी के अनुसार, पितृपक्ष में जब ग्रहण का संयोग होता है, तो दान-पुण्य का फल कई गुना अधिक हो जाता है। इसलिए जिन लोगों ने दिन में तर्पण किया है, वे ग्रहण के बाद भी जरूरतमंदों को दान देकर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
यह कर्म न केवल पितरों की तृप्ति के लिए शुभ है, बल्कि आत्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी फलदायी माना गया है।
प्रतिपदा श्राद्ध कब होगा?
पूर्णिमा के अगले दिन यानी 8 सितंबर 2025 को प्रतिपदा श्राद्ध किया जाएगा। पितृपक्ष में हर दिन उस तिथि पर श्राद्ध करना चाहिए जिस तिथि को पितरों का देहांत हुआ हो। यही वैदिक और शास्त्र सम्मत परंपरा है।



